जमशेदपुर
हिन्दू नव वर्ष यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के मौके पर हिन्दू उत्सव समिति द्वारा भगवा महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। इस महाकुंभ के लिए रास्तों को भगवा झंडों से पाट दिया गया है। इस दौरान हिन्दू धर्मावलंबियों को भगवा स्नान के लिए भी आमंत्रित किया गया है। इसे लेकर आज समिति द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में समिति के संस्थापक मृत्युंजय ने कहा कि बीते दो वर्षो में कोरोना जैसी मानवीय त्रासदी नहीं देखने को मिली। विश्व के समृद्ध से समृद्ध देश करोना महामारी से लोगों को बचाने में अक्षम रहे पर अपने भारत में हम पारंपरिक भोजन, औषधि आयुर्वेद और देव भक्ति से भारतीय समाज को बचाने में बहुत हद तक सक्षम रहे। यह हमारे समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परम्परा की ही देन है कि हम भारतीय समाज को बहुत हद तक इस त्रासदी से बचाने में सफल रहे। उन्होंने कहा कि उसी संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हिन्दू उत्सव समिति अपने राष्ट्रीय उत्सव के तहत भगवा महाकुंभ का आयोजन कर रहा है। भगवा महाकुंभ हेतु आयोजित स्थल के मार्ग को भगवा पताका से पाट दिया गया है।
हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष रामबाबू तिवारी ने कहा कि बीते वर्षों की भांति ही इस वर्ष भी हिन्दू नववर्ष की पूर्व संध्या पर शहर की मुख्य सांस्कृतिक हिन्दू नववर्ष यात्रा का भव्य आयोजन इस वर्ष भी किया जा रहा है। इस वर्ष भी यह यात्रा एमजीएम मैदान डिमना में एकत्रित होकर डिमना रोड होते हुए मानगो चौक, शीतला मंदिर, टैंक रोड़ होते हुए साकची गोलचक्कर, बंगाल क्लब होते हुए सुभाष मैदान के अंदर भारतमाता के चरणों में सामूहिक हनुमान चालीसा का, भारतमाता की आरती तथा प्रसाद वितरण के बाद ही सभी धर्मावलंबी अपने आवास की ओर प्रस्थान करेंगे। उन्होंने कहा कि पूरे कोल्हान से लोग इस यात्रा में शामिल होने आते हैं इसलिए समूचे मार्ग मे पानी, गुड़, चना, शर्बत आदि की व्यवस्था सेवा व्रतियों द्वारा किया जाता है।
रामबाबू तिवारी ने कहा कि हम हिन्दू त्याग, बलिदान और सृजन के नायक हैं। हमें अपने मूल को पहचानना है तथा हममें से प्रत्येक व्यक्ति को नववर्ष की यात्रा में अपने आप को राजा श्रीरामचन्द्र के व्यवहार और आचरण का स्मरण कर अनुसरण करना है। उन्होंने लोगों से प्रशासन के द्वारा यातायात व्यवस्था का पालन करने, किसी भी राजनीतिक पार्टी का नाम न लेने और करोना के संवैधानिक आदेशों का पालन करने का आग्रह किया।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व
1) इसी दिन सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2) सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3) प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4) शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात नवरात्र का पहला दिन यही है।
5) सिखों के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव का जन्म दिवस है।
6) स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।
7) सिंध प्रांत के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए।
8) राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की।
9) युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
10) संघ संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन।
11) महर्षि गौतम जयंती
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व
1) वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंध से भरी होती है।
2) फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
3) नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
भारतीय नववर्ष कैसे मनाएं
1) हम परस्पर एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं दें। पत्रक बांटें, झंडे, बैनर आदि लगाएं।
2) आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
3) इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फहराएं।
4) आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएं।
5) घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएं।
6) इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
7) प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें। झंडी और फरियों से सज्जा करें।
8) इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच का आयोजन करें।
9) वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राएं कवि सम्मेलन, भजन संध्या, महाआरती आदि का आयोजन करें।
10) चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम।