जमशेदपुरः आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि हेमंत सोरेन द्वारा सच्चा आदिवासी होने का ढिंढोरा पीटना और विज्ञापन से छवि चमकाने का सारा प्रयास खोखला साबित हो रहा है। श्री मुर्मू ने साफ कहा कि झारखंड के आदिवासियों की दुर्दशा के लिए शिबू सोरेन और जेएमएम सर्वाधिक दोषी है, क्योंकि इन्होंने लगभग 50 वर्षों की राजनीति में कभी भी आदिवासी समाज में व्याप्त अंधविश्वास, डायन प्रथा, नशापान, वोट की खरीद बिक्री, ईर्ष्या द्वेष, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, वंशानुगत पारंपरिक आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में सुधार लाने आदि पर कुछ भी नहीं किया है। उन्होंने केवल वोट और नोट के लिए राजनीति की, आदिवासी समाज की तरक्की के लिए नहीं।
“आदिवासी से लेना-देना नहीं, मुसलमान-ईसाई वोट बैंक को खुश रखना है मजबूरी”
सालखन मुर्मू ने कहा कि पिता-पुत्र ने संताली को झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने, सरना धर्म कोड की मान्यता, स्थानीयता नीति, न्यायसंगत आरक्षण नीति, नियोजन नीति, विस्थापन के खिलाफ पुनर्वास नीति बनाने आदि पर भी कुछ नहीं किया है। इतना ही नहीं विगत 23 सितंबर 2021 को झारखंड विधानसभा में सीएनटी/ एसपीटी कानून को तोड़कर लैंड पूल (शहरी विस्तार) बिल भी पास कर दिया है। संताल हूल के महानायक सिदो मुर्मू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की संदिग्ध हत्या (12 जून 2020) के खिलाफ सीबीआई जांच की घोषणा कर मुकर जाना, पुलिस अफसर रूपा तिर्की की संदिग्ध मौत के मामले पर आदिवासी विरोधी रवैया अपनाना, प्रमाणित करता है हेमंत सरकार को आदिवासी से कोई लेना देना नहीं है। उनके लिए मुसलमान और ईसाई वोट बैंक को खुश रखना मजबूरी है, भले ही सरना आदिवासी समाज बर्बाद हो जाए।
महिलाओं पर अत्याचार और शोषण के लिए पिता-पुत्र हैं दोषी : सालखन
सालखन मुर्मू ने कहा कि गांव-गांव में विद्यमान मांझी परगना व्यवस्था या ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम जाने -अनजाने नासमझी, स्वार्थ और लोभ- लालच में आदिवासी गांव समाज को खुद नेस्तनाबूत करने में सक्रिय हैं। जेएमएम और माझी परगना महाल आदि की मिलीभगत आदिवासी अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। उन्होंने कहा कि आदिवासी सेंगेल अभियान इस खतरनाक जानलेवा नापाक गठजोड़ के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बाध्य है। श्री मुर्मू ने कहा कि शिबू सोरेन ने पहले झारखंड को नरसिम्हा राव को 3.50 करोड़ रुपयों में बेचा और अब संताल परगना को वोट और नोट के लिए बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि संताल परगना और अन्य जगहों पर जिस प्रकार आदिवासी महिलाओं के साथ अन्याय, अत्याचार, शोषण हो रहा है, उसके लिए पिता पुत्र दोषी हैं। उन्होंने माझी परगना महाल की चुप्पी पर भी सवाल उठाया और जानना चाहा है कि आखिर वे चुप क्यों हैं?
सालखन मुर्मू ने कहा कि दुमका ज़िले में 2 और गुमला, लोहरदगा के 2 आदिवासी महिलाओं के ऊपर हुई बर्बतापूर्ण जानलेवा घटनाओं के विरोध में आदिवासी सेंगेल अभियान आरोपित अपराधियों का 9 सितम्बर को रांची में पुतला दहन कर विरोध दर्ज करेगा। इसके साथ ही राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजकर न्याय की मांग करेगा।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 13 सितंबर 2007 को विश्व आदिवासी अधिकार घोषणा- पत्र जारी किया है। उसको लागू करने के संकल्प के साथ 13 सितंबर, 2022 को आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकर्ता 5 प्रदेशों के लगभग 250 प्रखंडों में बीडीओ के जरिए राष्ट्रपति को मांग- पत्र भेजेंगे।
श्री मुर्मू ने कहा कि इसके अलावा 20 सितंबर को उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में और 30 सितंबर 2022 को बंगाल की राजधानी कोलकाता में “सरना धर्म कोड” की मान्यता हेतु आदिवासी सेंगेल अभियान की तरफ से धरना प्रदर्शन का आयोजन भी किया जाएगा।