जमशेदपुरः शहर के चर्चित लेखक अंशुमन भगत ने पत्र लिख कर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से लेखकों को होने वाली समस्याओं और उनके प्रोत्साहन मिलने से संबंधित विषयों पर अपनी बातें रखीं। अंशुमन का कहना है कि लेखक समाज के सृजन में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। लेखक अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को एक नया आयाम देने का कार्य करता है। राज्य में जितने भी लेखक साहित्य को नयी गति प्रदान कर रहे हैं, उनके लिए और उनके प्रोत्साहन के लिए कुछ कार्य और योजना बनाने की जरूरत है। आज जो भी लेखक, चाहे झारखंड के ट्राइबल लेखक और हिंदी साहित्य के लेखक हों, अपनी लेखनी को पूरे विश्व स्तर पर ले जाना चाहते हैं, उनको सहयोग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में हर क्षेत्र के लोगो को प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन लेखन ही ऐसा क्षेत्र है जो इससे अछूता रह गया है। झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस उन्हें मौका या कहें तो जो सहयोग मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा। जो संपन्न हैं उन्हें तो किसी भी आर्थिक सहायता की जरुरत नहीं है पर जो संपन्न नहीं है वो वंचित रह जाते हैं जिनमें प्रतिभा है, वो पीछे छूट जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड में लेखकों की कमी नहीं है, लेकिन उन्हें अन्य राज्यों की तरह प्रोत्साहन नहीं मिलता है, जिससे लेखकों में थोड़ी निराशा है। राज्य के लेखकों को सरकार द्वारा सुविधाओं के साथ-साथ प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ऐसा करने से लोग लेखन को कॅरियर बनाना चाहेंगे और पुस्तक के माध्यम से समाज को स्वस्थ और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति भी होगी।
उन्होंने कहा कि आज देश भर के कई युवा साहित्य के प्रति अपनी रुचि दिखा रहे हैं, कोई फिल्मों के जरिए अपनी कला को निखार रहा है तो कोई गीत एवं नृत्य के जरिए अपना और अपने समाज के लोगों का नाम रोशन कर रहा है। इसके अलावा कई लेखकों ने भी अपने लेखनी के जरिए समाज को एक नई राह दिखाई है। अंशुमन ने कहा कि लेखकों को अपनी पुस्तक और अपने ही लेखनी के प्रकाशन हेतु पैसे लगाने पड़ जाते हैं, जो हर कोई नियमित रूप से नहीं कर सकता और अंत में ऐसा होता है कि जिनके पास शोहरत है, वही केवल लेखन के क्षेत्र में खुद को स्थाई महसूस कर सकते हैं। ऐसे में एक ऐसा मंच होना जरूरी है, जहां लेखकों को अपनी पुस्तक अपने विचार निशुल्क प्रकाशित करने का मौका मिल सके क्योंकि लेखक अपने विचारों से समाज का भला चाहता है, समाज को एक नई दिशा देना चाहता है। इसके अलावा लेखकों को राज्य सरकार द्वारा उनके प्रोत्साहन तथा आर्थिक मदद के विषय पर भी कुछ करना चाहिए। जिससे उन्हें ऐसा अनुभव ना हो कि लेखन के क्षेत्र में कोई भविष्य नहीं, क्योंकि लेखन का क्षेत्र भी कला की गिनती में आता है और एक लेखक समाज के लिए दर्पण का काम करता है।
लेखिका सुप्रिया कुमारी ने कहा कि अक्सर नए लेखक इस क्षेत्र में आ तो जाते हैं, लेकिन सही प्रोत्साहन ना मिलने पर बात यहां आकर ठहर जाती है कि जिनके पास शोहरत और लोकप्रियता है, वो आगे निकल जाते हैं और नव युवा इस क्षेत्र में आ कर भी सहायता ना मिलने के कारण सिमट कर रह जाते हैं। अगर सरकार इस सन्दर्भ मे प्रकाश डाले तो काफी लेखक इससे प्रोत्साहित होंगे और इस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहेंगे।
वहीं मिथलेश कौशिक कहते हैं कि साहित्य के क्षेत्र में एक लेखक खुद को साबित कर
ने के लिए काफी मेहनत करता है। जिस तरह फिल्म निर्माता फिल्म के द्वारा अपने सकारात्मक विचारों को समाज के सामने प्रस्तुत करते हैं, उसी तरह एक लेखक भी अपने सकारात्मक विचारों को क़िताब के पन्नों में दर्शाता है। जिस तरह हर कला को प्रोत्साहन मिलता है उसी तरह लेखकों को भी लेखन के क्षेत्र में अपने अपने राज्य सरकार द्वारा बढ़ावा मिलना चाहिए।
कुमारी छाया ने कहा कि, जिस तरह कला को बड़े पर्दे पर काफी प्रोत्साहन मिलता है, उसी भांति एक लेखक को भी प्रोत्साहन मिलना चाहिए। कई युवा ऐसे भी हैं जो अपने आर्थिक स्थिति की वजह से अपनी कला को प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं और कुछ प्रोत्साहन ना मिलने की वजह से अपने कला को पीछे छोड़ देते हैं। वैसे में राज्य स्तर पर भी उन्हें कुछ मदद की जाए तो लेखकों को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।