राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक भव्य समारोह में रांची में बने हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन कर इसे राज्य को समर्पित किया. उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, मेरा झारखंड से पुराना रिश्ता है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं घर वापस लौटी हूं। मेरा गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए आप सभी का आभार। झारखंड हाईकोर्ट की नयी बिल्डिंग बेहतरीन है। नयी सुविधाओं से लैस है। पूरा कैंपस कई बातों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। कई तरह के पेड़ पौधे इसे ग्रीन कैंपस बनाते हैं। मैं सभी का आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने इसे बनाने में सहयोग किया है। कोर्ट न्याय का मंदिर है, लोग इसे विश्वास के साथ देखते हैं। कोर्ट के पास यह ताकत है कि वह न्याय दे सके। लोगों को उनके अधिकार दे सकें। यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने कहा, मैं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को मैं धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने हिंदी में भाषण दिया। मुझे लगता है इसका लाभ मिलेगा, उन्हें देखकर हाईकोर्ट के जज भी प्रभावित होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह शुरुआत की है कि कई भाषाओं में काम शुरू किया है। झारखंड में यह जरूरी है। अंग्रेजी के अलावा यहां के लोग दूसरी भाषाओं में सहज हैं। तकनीक हमारी दुनिया बदल रहा है। नयी भवन में कई आधुनिक सुविधाएं हैं, खासकर युवा जो इस क्षेत्र में हैं उन्हें और बेहतर करना है। न्याय व्यवस्था में समस्याओं की पहचान हो रही है, उस पर चर्चा हो रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम इन समस्याओं से जल्द निकलकर बाहर आयेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि यह नई बिल्डिंग जज, वकील और कर्मचारियों में उत्साह भरेगी। मैं यहां इसलिए यह कहना चाहती हूं कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, झारखंड के चीफ जस्टिस हैं, कई विद्वान लोग हैं। कई केस हाईकोर्ट में फाइनल होते हैं, कोई सुप्रीम कोर्ट में। फैसले जब आते हैं तब लोग खुश होते हैं। समय लगा लेकिन न्याय मिल गया लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें महसूस होता है कि न्याय अभी मिला नहीं। ना जाने कितना रुपया, कितना जीवन का समय बर्बाद किया अगर वह फैसले सच होते नहीं दिखते। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, मैं गांव में एक ऐसी समिति में थी हम कुछ केस फाइनल होने के बाद देखते थे क्या उन्हें न्याय मिला की नहीं है। जज भी मानते हैं कि ऐसे केस हैं, लोग दोबारा केस करने से डरते हैं। इतनी लंबी लड़ाई के लिए लोग तैयार नहीं होते। आप सभी बड़े जज बैठे हैं, मुझे पता नहीं कि इसका रास्ता है कि नहीं । मुझे लगता है लोगों को सही मायने में न्याय मिलना चाहिए। इसका रास्ता जरूर होगा। नियम हम बनाते हैं, नहीं है तो नियम बनाना चाहिए। बहुत सारे लोग मेरे पास आते हैं। अभी भी मेरे पास बहुत लोगों की सूची है जिन्हें न्याय नहीं मिला। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया या सुप्रीम कोर्ट के बाद शायद कोई कोर्ट नहीं है।
इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट के जज अनिरुद्ध बोस, झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र भी मंच पर मौजूद रहे. लगभग 600 करोड़ की लागत से बने झारखंड हाईकोर्ट का नया कैंपस सुप्रीम कोर्ट से करीब तीन गुना बड़ा है. कैंपस में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 2000 पौधे लगाए गए हैं. यह देश का अब तक का सबसे बड़ा हाईकोर्ट भवन और बड़ा कैंपस भी है. गर्मी की छुट्टियों के बाद नए हाईकोर्ट परिसर में न्यायिक गतिविधियां शुरू होंगी.
इस मौके पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय का नया भवन भविष्य में न्याय का उच्च मार्ग प्रशस्त करेगा. न्यायपालिका का विस्तार होने के साथ साथ से आम लोगों की आस्था को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है. साधन एवं साक्षरता के अभाव में न्याय व्यवस्था को गरीबों तक पहुंचाना हमारी प्रतिबद्धता है. समय पर सुनवाई जरूरी है. पर मूलभूत सुविधाओं की कमी है. जिला न्यायालयों को जब समानता मिलेगी, तभी हम आगे बढ़ सकते हैं. वहां महिलाओं के लिए शौचालय तक नहीं है.उन्होंने कहा सर्वोच्च न्यायालय के सात साल के मेरे निजी अनुभव में सजा होने से पहले गरीब लोग कई दिनों तक जेल में बंद रहते हैं। अगर न्याय जल्दी नहीं मिले तो उनकी आस्था कैसे बनी रहेगी। जमानत के मामलों में प्रत्यक्ष रूप में हमें इस मामले में हमें ध्यान रखना चाहिए। मैं समझता हूं कि जिला न्यायालय को बराबरी देने की जरूरत है। जिला न्यायालय की गरिमा नागरिकों की गरिमा से जुड़ी मैं उच्च न्यायालय से भी यही उम्मीद है। लाइव स्ट्रीम से कोर्ट रूम को हर घर में ले जाना बेहतर है। मुझे आशा है कि आप रांची फिर लौट आने का अवसर देंगे।उन्होंने जोहार के साथ भाषण का समापन किया.
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि भारत सरकार न्यायपालिका की जरूरतों को पूरा करने के लिए कटिबद्ध है. संविधान निर्माण के बाद से ही न्यायपालिका में कई बदलाव और प्रयोग हुए हैं, कई सुधार हुए हैं. 26 नवंबर 1949 को संविधान निर्माताओं ने संविधान बनाया था. हम सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय की स्थापना करने जा रहे हैं. इतनी बड़ी कल्पना संविधान निर्माताओं ने की. हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं. विश्लेषण करने का अवसर है. जब साल 2047 आएगा तो देश विकसित बने ये कल्पना पीएम ने की है. इस लम्बी यात्रा में नई इनिशिएटिव ली गयी है. ई- कोर्ट प्रोजेक्ट के बारे में एक अवधारणा है. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र ने स्वागत भाषण में कहा कि आज का पल गर्व का है. राष्ट्रपति ने 6 साल इस राज्य में गुजारा है, झारखंड उनके घर के जैसा है. नए भारत में महिला सशक्तीकरण की मिसाल हैं. मातृ शक्ति की पराकाष्ठा हैं. राष्ट्रपति का स्वागत करना मेरे लिए गर्व की बात है. सीजेआई का भी यहां होना हमारे लिए गर्व की बात है. सीजेआई की तरफ से लैंड मार्क जजमेंट किए गए हैं. झारखंड के ज्यूडिशियल फेटर्निटी की तरफ से भी सीजेआई का स्वागत है. हाइकोर्ट के नए भवन के निर्माण में सीएम हेमंत सोरेन और सरकार के सपोर्ट के लिए भी धन्यवाद. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अनिरुद्ध बोस का भी स्वागत है. मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का भी यहां आने के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद. जस्टिस अपरेश सिंह का भी स्वागत है. झारखंड हाइकोर्ट के नए भवन के उद्घाटन में पहुंचे तमाम अधिकारियों का स्वागत है. झारखंड के इतिहास के लिए ये नई शुरुआत है. न्याय जीवन में असली उड़ान अभी बाकी है. हमारे इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है.अभी तो नापी है सिर्फ मुट्ठी पर जमीन अभी सारा आसमान बाकी है.
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि वीरों की धरती पर आप सबका स्वागत है. करोड़ों जनता के लिए यह गौरव का क्षण है. आदिवासी बहुल राज्य में निर्मित यह भवन दूसरे राज्यों के भवन से बहुत बड़ा है. यह सरल सुलभ न्याय दिलाने में मील का पत्थर साबित होगा. कई गरीब आदिवासी आज जेल में बंद हैं. 4 वर्षो से अधिक लंबित मामलों की सूची तैयार है, जिसका निष्पादन 6 महीने में करने की कोशशि है. इसकी मोनिटरिंग मैं खुद कर रहा हूं. एपीपी की नियुक्ति इसमें कारगर साबित होगी. 506 न्यायिक पदाधिकारी कार्यरत हैं. जो भी अवश्यताएं होंगी, राज्य सरकार पूरा करेगी. कोई भी प्रोजेक्ट राज्य के लिए तैयार किया जाएगा, हम सफल बनाएंगे. कहा कि सुपीरियर जुडिशियल में आदिवासी की पार्टिसिपेशन नहीं के बराबर है. वरीय न्यायि सेवा की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण की मांग करता हूं. केंद्र सरकार भी उच्च न्यायालय के लिए कोई स्कीम चलाये, जिसमें आधारभूत संरचना में राज्य सरकार को सहयोग मिले. न्यायपालिका में आदिवासियों की कम संख्या चिंता का विषय है. न्यायिक सेवा की नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिए.