जमशेदपुरः टाटा लीज समझौता के अनुरूप जमशेदपुर के सभी नागरिकों को जनसुवधिाएं उपलब्ध कराने की मांग को लेकर आज जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना दिया। धरना के बाद उन्होंने उपायुक्त के जरिए झारखंड के मुख्यमंत्री सह नगर विकास मंत्री को एक स्मार पत्र सौंपकर इस दिशा में पहल करने की मांग की।
मांगपत्र में विधायक सरयू राय ने कहा है कि जमशेदपुर एक ऐसा शहर है जहां नगरपालिका स्वशासन की व्यवस्था नहीं है। नगर निकाय व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए संविधान का 74वां संशोधन होने के बावजूद यहां संविधान के अनुच्छेद 243 ‘फ’ के मुताबिक नगर निगम/औद्योगिक नगर का गठन नहीं हो पाया है। इसके पूर्व भी ऐसी व्यवस्था नहीं थी। नगरपालिका के नाम पर जेएनएसी की व्यवस्था चल रही है, जो असंवैधानिक है।
नगरपालिका के अभाव में जमशेदपुर के नागरिकों को नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी तत्कालीन बिहार सरकार और टिस्को (टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी) के बीच 1985 में हुए टाटा लीज समझौता के प्रासंगिक प्रावधानों के मुताबिक टिस्को पर थी। वर्ष 2005 में टाटा लीज समझौता का नवीकरण झारखंड सरकार के मुख्य सचिव और टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक के हस्ताक्षर से हुआ। लीज नवीकरण समझौता में भी नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये टाटा स्टील के दायित्व का स्पष्ट उल्लेख है। इसके लिए श्री राय ने समझातौ दस्तावेज पर अंकित नागरिक सुविधाओं का भी उल्लेख किया है।
AND WHEREAS the Lessee has continued to develop the town of Jamshedpur and render the civic services like conservancy, building and maintaining roads, sewerage etc., supply of water and maintain water mains, pipes, etc., street lighting and supplying electrical energy and similar amenities and various other civic amenities for the inhabitants of the town of Jamshedpur,
AND WHEREAS having regard to the high standard hitherto maintained by the Lessee in regard to such development, services, and amenities, the Lessor is of the opinion that in the public interest it is necessary that the said development and services should continue to be undertaken and rendered by the Lessee as hitherto at its cost and mode of management and realization of charges for services rendered in the manner followed so far,
(4) That the lease of the lands comprised in Schedule-III of the Lease Deed dated 01-08-1985, the contents of which have been modified due to various reasons, the details of which are given in Appendix- ‘C’ forming part of this Indenture is renewed in favour of the Lessee, for providing civic amenities such as health, welfare, hospitals, dispensaries and clinics including veterinary, conservancy depots, sewage disposal system along with installations, open spaces, water supply system along with installations, roads, parks, gardens and lakes, playgrounds and stadium, community and social welfare centers, dairy and poultry farms, picnic spots, electric substations, transmission lines for power supply, telephone lines, buildings and offices for administration of civic amenities, Lessee’s schools including technical institutes and hostels.
श्री राय ने इन बातों से अवगत कराते हुए कहा कि टाटा लीज समझौता में कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली नागरिक सुविधाओं का विस्तार से उल्लेख है। यह उल्लेख भी है कि कंपनी ये सुविधाएं पूरे जमशेदपुर के नागरिकों को अपने खर्चे पर उपलब्ध करायेगी और नागरिकों से उतना ही शुल्क वसूल करेगी जितना झारखंड सरकार अपनी नगर पालिकाओं के लिये समय समय पर तय करेगी, परंतु समझौता में यह प्रावधान नहीं है कि यदि किसी नागरिक को जनसुविधाओं के संबंध में कोई शिकायत है तो उसके निराकरण के लिये वह कहां जाएगा? उसकी सुनवाई कौन करेगा? उसका निदान कौन करेगा? उन्होंने तत्काल इसकी व्यवस्था करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा कि सभी शहरों की तरह जमशेदपुर का भी उर्ध्व एवं क्षैतिज विस्तार तेजी से हो रहा है। शहर विस्तार को ध्यान में रखते हुए नागरिक सुविधा संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण की कोई योजना नहीं है। श्री राय ने कहा कि उन्होंने इसके लिए पर्याप्त प्रयास किया , लेकिन संभव नहीं हो सका। इस कारण व्यवस्था बिगड़ गई है।
इतना ही नहीं उन्होंने पानी, बिजली जैसी नागरिक सुविधाएं देते समय नागरिकों से इनकी स्थापना का एकमुश्त शुल्क न वसूलने संबंधी नीतिगत निर्णय भी सरकार से लेने की गुजारिश की। श्री राय ने कहा कि टाटा लीज समझौता हुए 37 वर्ष और इसका नवीकरण हुए 17 वर्ष होने जा रहा है, लेकिन आज तक जमशेदपुर के सभी इलाकों तक जनसुविधाएं नहीं पहुंच सकी हैं। पानी, बिजली, सफाई, जल-मल निकासी जैसी अत्यंत आवश्यक नागरिक सुविधाओं का घोर अभाव है।
विधायक श्री राय ने कहा कि जमशेदपुर पूर्वी विधान सभा क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति की मुख्यतः दो व्यवस्थाएं हैं- एक कंपनी द्वारा की गई व्यवस्था और दूसरी सरकार द्वारा की गई मोहरदा पेयजल आपूर्ति व्यवस्था, जिसका संचालन कंपनी द्वारा सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। दोनों ही व्यवस्थाओं की गंभीर त्रुटियों की ओर उन्होंने नगर विकास विभाग, जेएनएसी और कंपनी का ध्यान आकृष्ट कराया है। उन्होंने इस मामले में भी पहल की जरूरत बतायी है।
नागरिक सुविधाओं के मामले में श्री राय ने कहा कि पेयजलापूर्ति मामले में छाया नगर से लेकर बाबूडीह-लाल भट्ठा इलाका तक, जोजोबेडा एवं निकटवर्ती क्षेत्र, केबुल टाउन क्षेत्र तथा जल-मल निकासी मामले में ब्राह्मण टोला, भुंइयाडीह ग्वाला बस्ती इलाका, पंजाबी रिफ्युजी कॉलोनी, देवनगर आदि क्षेत्रों में कंपनी द्वारा अपनाये गये रवैया में काफी कमी है, इसमें सुधार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति मामले में टाटा लीज क्षेत्र एवं लीज से बाहर क्षेत्र की बस्तियों में कंपनी दोहरा मापदंड अपना रही है। लीज समझौता के अनुसार सभी बस्ती क्षेत्रों एवं गैर बस्ती क्षेत्रों को बिजली की सुविधा उपलब्ध कराना कंपनी का दायित्व है, परंतु लीज समझौता होने के 36 वर्ष और इसके नवीकरण के 17 वर्ष बाद भी यह नहीं हो सका है। सरयू राय ने कहा कि कंपनी जमशेदपुर के बाहर के नागरिकों को बिजली उपलब्ध करा रही है, परंतु लीज समझौता में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद जमशेदपुर की सभी बस्तियों की बात तो दूर अपने लीज क्षेत्र की बस्तियों में भी बिजली नहीं दे रही है। उन्होंने सबके लिए व्यवस्था सुनिश्चित करने की जरूरत बतायी है।
उन्होंने कहा कि एक ओर नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने में कोताही हो रही है तो दूसरी ओर इनके स्थापन शुल्क में बढ़ोतरी हो रही है। श्री राय ने कहा कि जमशेदपुर पूर्व की बस्तियों एवं अन्य क्षेत्रों में होल्डिंग्स टैक्स की व्यवस्था नहीं हो पाई है, जहां है वहां इसमें भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि होल्डिंग्स व्यवस्था मालिकाना अधिकार की दिशा में एक ठोस कदम है। उन्होंने होल्डिंग टैक्स की व्यवस्था करने और इसमें वृद्धि वापस लेने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि बस्तियों को मालिकाना हक देने की मांग जमशेदपुर में लंबे समय से की जा रही है। जिन लोगों ने बस्तीवासियों की इस मांग को बड़ा मुद्दा बनाया वे समय आने पर मुकर गये। राज्य में शीर्ष पद पर बैठने के बाद निहित स्वार्थ में इसका सौदा कर लिया और लीज का झुनझुना थमा दिया। श्री राय ने कहा कि सरकार को अन्य राज्यों द्वारा इस ओर उठाये कदमों के बारे में तथा झारखंड में ‘‘रांची नगर निगम बनाम उपायुक्त, रांची’’ के मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से भी उन्होंने सरकार को अवगत कराया है। उन्होंने इन दस्तावेजों के आलोक में मालिकाना हक देने के लिये सरकार को एक नियम बनाने की जरूरत बताई।
नागरिक सुविधाओं के साथ ही हाट, बाजार, पार्किंग, पार्क, गार्डेन, खेल मैदान, जन स्वास्थ्य, व्यायामशाला, पुस्तकालय, वाचनालय, पर्यावरण संरक्षण आदि सुविधाएं बनाने और इसकी देख रेख एवं क्रियान्वयन के लिये एक अधिकार संपन्न समिति बनाने की भी जरूरत बतायी। इसके अलावा कई अन्य बातों से भी उन्होंने सरकार को अवगत कराते हुए इस दिशा में पहल करने की मांग की है।