झारखंड के मुख्यमंत्री की वजह से राज्य की बदनामी पूरे देश में हो रही है। स्थिति यह है कि राज्य में संवैधानिक संकट की उत्पन्न हो गई है। मुख्यमंत्री खुद जांच एजेंसी के समन की अवहेलना कर रहे हैं, जो सही नहीं है। सीएम खुद कहते फिर रहे हैं कि हर स्थिति के लिए तैयार हैं। ऐसे में सरकार को इस्तीफा क्यों नहीं देना चाहिए। इस मसले पर बहस करने की जरूरत है। उक्त बातें नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने शीतकालीन सत्र के दूसरे कार्य दिवस में कही।
उन्होंने सदन में सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा कि राज्य सरकार 28 दिसंबर को अपना चार वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रही है। इन चार वर्षों में सरकार की क्या उपलब्धी रही, इस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ने इसे स्वीकार नही किया। क्योंकि सरकार जानती है कि सदन के अंदर जनता के सवालों का कोई भी जवाब उनके पास नहीं है।
उन्होंने कहा कि धीरज साहू कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन उनके ठिकानों से सैकड़ो करोड़ रुपए बरामद होने के मसले पर चर्चा करने की जरूरत है, क्योंकि वह झारखंड के रहने वाले हैं। उनकी वजह से झारखंड की बदनामी हुई है। जो पैसे बरामद हुए हैं, वह राज्य के जल, जंगल और जमीन के लूटे हुए पैसे हैं।
अमर कुमार बाउरी ने कहा कि सरकार अपने कार्यकाल का चार वर्ष पूरा करने वाली है। सरकार को ऐसे मौके का सदुपयोग करना चाहिए था और शीतकालीन सत्र की अवधि लंबी रखनी चाहिए थी। सरकार अपनी उपलब्धियां गिना सकती थी, लेकिन छोटा सत्र बुलाकर सरकार अपनी नाकामियां छिपाना चाह रही है।
अनुपुरक बजट पेश किये जाने के विषय पर अमर कुमार बाउरी ने कहा कि अभी तक राज्य सरकार ने मूल बजट का मात्र 20 – 30 प्रतिशत ही खर्च किया है। कृषि विभाग में 30 प्रतिशत से भी कम खर्च हुए है। वहीं राज्य में सुखाड़ की स्थिति है, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक केन्द्र सरकार को सुखाड़ से राहत हेतु जो रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजना है उसे अभी तक नहीं भेजा है। इससे राज्य के लाखों किसान को आर्थिक नुकसान हुआ है।
उन्होंने साफ कहा कि राज्य सरकार अनुपुरक बजट नहीं बल्कि चुनावी बजट की मांग कर रही है, लेकिन विपक्ष राज्य के गरीब, दलित, शोषित, वंचित, मूलवासी जनता को फिर से धोखा खाने नहीं देगी। सरकार को अपने चार वर्ष के कार्यकाल का पूरा रिपोर्ट सदन के पटल पर रखना ही होगा।