जमशेदपुर के बारीडीह स्थित मणिपाल मेडिकल कॉलेज में बायो मेडिकल और वेस्ट मैनेजमेंट विषय पर अमृत काल विमर्श विकसित भारत 2047 का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर बैंगलोर से बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के एक्सपर्ट प्रोफेसर डॉक्टर जी सुमन ने द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस मौके पर कॉलेज के डीन सहित काफी संख्या में छात्र मौजूद थे। कार्यक्रम के माध्यम से बायो मेडिकल और वेस्ट मैनेजमेंट के कारण समाज, पर्यावरण और स्वास्थ्य का नुकसान होता है और इसे किस प्रकार कम करते हुए बचाया जा सकता है। इसे लेकर मणिपाल ग्रुप निरंतर कार्य कर रही है और बायो मेडिकल और वेस्ट मैनेजमेंट कम करने के लिए प्रयासरत है।
डॉ. गडिचेरला सुमन, एमडी, पीजीडीजीएम, एमएएमएस ने कॉलेज परिसर में “मेडिकल कॉलेजों में बायो मेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन में सतत प्रथाओं के माध्यम से भारत के भविष्य को आकार देना” पर अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि के साथ छात्रों और कर्मचारियों को इस विषय पर जानकारी दी। इस आयोजन का उद्देश्य राष्ट्र की भलाई में योगदान देना है। यह न केवल हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करेगा बल्कि हमारे चिकित्सा संस्थानों को अधिक लागत-कुशल भी बना सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह भावी चिकित्सकों को पर्यावरण के प्रति सजग और जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित करता है।
भारत सरकार ने पूरे देश में चयनित परिसरों में सेमिनारों की एक श्रृंखला की योजना बनाई है, जिसमें उद्योग, प्रशासन और सार्वजनिक सेवाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध विशेषज्ञ अपने ज्ञान और अंतर्दृष्टि को साझा करने और उल्लेखनीय योगदान देने के लिए इकट्ठा होते हैं। हमारे देश के विकास में ये प्रतिष्ठित वक्ता विभिन्न विकासात्मक कार्यक्रमों, मुद्दों, नीतियों और विषयों पर बातचीत और व्याख्यान देंगे, जिन्होंने आम आदमी के जीवन पर पर्याप्त प्रभाव डाला है और महान राष्ट्र के विकास में योगदान दिया है।
एमटीएमसी के बारे में: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के बारीडीह, जमशेदपुर में मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज (एमटीएमसी), टाटा स्टील और एमएएचई मणिपाल के बीच एक कंसोर्टियम पहल के तहत चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए एक प्रीमियम संस्थान है। अक्टूबर 2020 में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर के माध्यम से भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (एमओई) द्वारा एमएएचई मणिपाल को औपचारिक रूप से प्रतिष्ठित संस्थान (आईओई) के रूप में मान्यता दी गई है। यह पहल राज्य में चिकित्सा शिक्षा के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए मेडिकल सीटों में वृद्धि में भी योगदान देगी।