जमशेदपुर
झारखंड में भाषा के नाम पर दोयम दर्जे की राजनीति शुरू हो गई है। झामुमो के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार ने लाखों भोजपुरी और मगही भाषा-भाषियों की भावनाओं को कुचलते हुई क्षेत्रीय भाषा की सूची ने उन्हें बाहर कर दिया है। एक दिन पहले ही इस संबंध में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। इससे भोजपुरी भाषा-भाषियों में आक्रोश है और अलग झारखंड से वे खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं।
एक तरफ झारखंड के सीएम के साथ ही पार्टी के दूसरे मंत्री खुलकर भोजपुरी, मगही और अंगिका का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि भोजपुरी भाषी स्थानीय लोगों का हक मारेंगे, इसलिए इन भाषाओं को सूची से बाहर कर दिया गया है। इतना ही नहीं गठबंधन की इस सरकार में शामिल कांग्रेस के नेता भी झामुमो के इस विरोध का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन सरकार में शामिल कुछ नेता भले ही सरकार पर अपना दबाव न बना पा रहे हों या उनकी न चलती हो, लेकिन वे अपनी बातों से यह जता रहे हैं कि सरकार ने गलत किया है।
कांग्रेस कोटे से झारखंड सरकार में शामिल राज्य के स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता ने अपनी बातों से हेमंत सरकार को आईना दिखाने का काम किया है। सरायकेला-खरसांवा जिला में एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पत्रकारों के सवाल पर बन्ना गुप्ता ने भोजपुरी में अपनी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि “भोजपुरी बोले से मन मिजाज हरियर हो जाला”
श्री गुप्ता सरायकेला कांग्रेस कमेटी के द्वारा आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में जाने के क्रम में गम्हरिया के लाल बिल्डिंग में झारखंड शिक्षित बेरोजगार ऑटो यूनियन के अध्यक्ष ओम सिंह एवं महासचिव अमरजीत कुमार यादव की गुजारिश पर रुके, जहां उनका अभिनंदन किया गया। यहीं पत्रकारों से बात करते हुए श्री गुप्ता ने भोजपुरी के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
भोजपुरी में अपनी बात रखते हुए बन्ना गुप्ता ने कहा कि “भोजपुरी बोले से मन मिजाज हरीयर हो जाला”। स्वास्थ्य मंत्री यहीं नहीं रुके, अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बन्ना गुप्ता ने कहा कि “आपन आपन घरवा में दियारा सब केहू जलावेला बनवा में दियारा जलावे त जानी”।
मंत्री बन्ना गुप्ता के बयान से जाहिर होता है कि झारखंड सरकार ने जनजातीय भाषाओं से मगही और भोजपुरी को हटाकर भाषा का अपमान किया है। अपने दूसरे लाइन में इसी बात को स्पष्ट करते हुए बन्ना गुप्ता ने कहा था कि अपने अपने घरों में तो अपनी भाषा बोली जा सकती है, लेकिन अगर दूसरे की भाषा का भी सम्मान अपने घर में हो तो उसे ज्यादा सम्मान माना जाता है।
इधर लोगों का कहना है कि कांग्रेस झारखंड की सरकार में शामिल हैं और कई मंत्री भी हैं। ऐसे में हेमंत सरकार की इस भाषा विरोधी कारस्तानी में कांग्रेस सहित अन्य दलें भी शामिल हैं। जगह पर विरोध न कर पब्लिक के बीच माहौल बनाने के लिए इस तरह का बयान राजनीतिक स्टंट है। मौके पर मौजूद एक व्यक्ति ने कहा कि बन्ना गुप्ता ने जिस अंदाज में एक के बाद एक भोजपपुरी की तीन-चार लाइनें कहीं, उससे साफ लग रहा था कि वे जल्दी से बोलकर अपनी बात खत्म करना चाहते हैं, ताकि जो कहना चाहते हैं वह भूल न जाएं। कार्यक्रम में लखींद्र महतो, पप्पू यादव, रतन, राजू सिंह, बृजेश तिवारी, नंदू मोदक, आनंद बिहारी, करण कुमार के साथ यूनियन के दर्जनों सदस्य मौजूद थे।