बिहार, यह केवल एक नाम ही नहीं, पूरी की पूरी एक कहानी है, एक इतिहास है। बिहार का इतिहास इतना स्वर्णिम है, जितना शायद ही और किसी देश या राज्य का हो। बिहार और बिहारियों, यहां की भाषा को पीछे धकेलने में लगे, लोगों को बिहार के स्वर्णिम इतिहास को जानने की जरुरत है। अगर वे इस इतिहास को जान गए तो उन्हें बिहार और बिहारियों से बैर करने उनसे दूरी बनाने पर निश्चित रूप से अफसोस होगा। आज बिहार दिवस (Bihar Diwas) है, ऐसे में आपको बहम बिहार के उद्भव से लेकर उसके इतिहास से अवगत करा रहे हैं। आइए आगे बढ़ते हैं………
बिहार केवल एक राज्य नहीं बल्कि भारत के स्वर्णिम इतिहास का साक्षी रहा है। जनक पुत्री सीता और गुरु नानक देव जैसे देवतुल्य व्यक्तित्व की जन्मस्थली बिहार प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है। उपजाऊ भूमि और कृषि पैदावार के मामले में भी बिहार अग्रणि है। इतना ही नहीं सिविल सर्विस जैसी अन्य परीक्षाओं में हर साल बिहार और बिहारियों का वर्चस्व रहता है, जो दर्शाता है कि यहां के युवाओं और छात्रों में ज्ञान का अकूत भंडार भी है।
अब हम बात करते हैं बिहार दिवस (Bihar Diwas) की। आपको बता देते हैं कि वर्ष 1912 में अंग्रेजों ने बिहार को बंगाल से अलग किया और उसकी एक अलग और नई पहचान बनी। 22 मार्च 2022 को बिहार राज्य गठन के 110 साल पूरे हो रहे हैं। ऐसे में जश्न तो होगा ही। बिहार दिवस पर हर वर्ष पब्लिक हॉलिडे होता है। इस दौरान सरकारी कार्यालयों में अवकाश होता है तो शिक्षण संस्थानों में कई कार्यक्रम भी होते हैं।
यहां आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इससे पहले बिहार दिवस के बारे में बहुत कम ही लोग जानते थे, लेकिन नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार सरकार द्वारा बिहार दिवस की शुरूआत बड़े पैमाने पर की गई थी। अगर आप बिहारी हैं या बिहार से तनिक भी जुड़ाव रहा है तो आपको यह जानकर गर्व होगा कि बिहार दिवस केवल बिहार में ही नहीं बल्कि देश के अन्य हिस्सों के अलावा कई दूसरे देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बहरीन, कतर, यूएई, त्रिनिदाद-टोबैगो और मॉरीशस में भी मनाया जाता है।
बिहार के अस्तित्व में आने के बाद वर्ष 1935 में उड़ीसा को इससे अलग कर दिया गया। इसके बाद वर्ष 2000 में बिहार से ही अलग होकर झारखंड बना। यानी बिहार ने काफी कुछ दिया है, लेकिन उससे अलग होने वाले कुछ लोग बिहार, बिहारियों और भाषा का विरोध कर रहे हैं।
बिहार से जुड़ी बातें जो कराती हैं गर्व का एहसास
बिहार को गौरवान्वित करने वाली घटनाओं और इतिहास की फेहरिस्त काफी लंबी है। यहां हम कुछ प्रमुख बातों की जानकारी दे रहे हैं। आइए जानते हैं….
- स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार से ही चंपारण विद्रोह हुआ।
- आजादी के बाद भारत को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति भी बिहार ने ही दिया। राजेन्द्र प्रसाद का जन्म बिहार के जीरादेई में 3 दिसंबर 1884 को हुआ था।
- एक समय था जब बिहार शिक्षा के प्रमुख केंद्रों के रूप में जाना जाता था।
- नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय और ओदंतपुरी विश्वविद्यालय बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्र थे।
- बिहार का प्रमुख व्यंजन लिट्टी-चोखा है जो पूरे देश के साथ ही विदेशों में भी फेमस है। शायद ही किसी दूसरे राज्य के व्यंजन को इतनी पहचान मिली है।
- अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में भी बिहार की अहम भूमिका रही है।
- सारण जिले में गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर चिरांद, नवपाषाण युग (लगभग 4500-2345 ईसा पूर्व) और ताम्र युग (2345-1726 ईसा पूर्व) एक पुरातात्विक रिकॉर्ड है।
- मिथिला में पहली बार इंडो-आर्यन लोगों ने विदेह साम्राज्य की स्थापना की। बाद में विदेह कुरु और पांचाल के साथ दक्षिण एशिया का प्रमुख राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया।
- विदेह के राजा जनक कहे जाते थे और राजा जनक की पुत्री थीं सीता, जिनका वाल्मीकि रामायण में जिक्र है।
- जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर का जन्म भी बिहार के वैशाली में हुई।
- सन 240 में मगध में उत्पन्न गुप्त साम्राज्य को विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, वाणिज्य, धर्म और भारतीय दर्शन में भारत का स्वर्ण युग कहा गया।