जमशेदपुरः टाटा स्टील फाउंडेशन (TSAF) द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्तर के फिल्म महोत्सव, समुदाय के साथ के पहले दिन की शुरुआत “सिनेमा- जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और प्रसारण का प्रतिबिंब” विषय पर विचार-विमर्श के साथ हुई। सोनारी स्थित ट्राइबल कल्चर सेन्टर में आज हर साल नवंबर में टीएसएफ द्वारा आयोजित होने वाले संवाद के केंद्रीय विषय के इर्द-गिर्द बुनी गई विभिन्न फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। टाटा स्टील फाउंडेशन की ओर से आदिवासी कहानियों पर आधारित फिल्म समारोह के दौरान आदिवासियत पर आधारित 20 फिल्मों का प्रदर्शन होगा।
स्ट्रेंथ इन डायवर्सिटी- स्ट्रेस रेसिस्टेंट क्रॉप्स ऑफ नागालैंड, चेंतेई खियमियुगन द्वारा बनाई गई यह फ़िल्म अपने नाम के अनुरूप है। फिल्म में नागालैंड की तेजी से खत्म हो रही पारंपरिक कृषि पद्धतियों को दिखाया गया है। जहां लेंस फिल्म निर्माता की दादी की रोजमर्रा की कृषि गतिविधियों के साथ आगे बढ़ता है, वहीं फिल्म जैविक खेती पर फोकस करती है।
इस दौरान दो अन्य फिल्में भी दिखाई गईं। इनमें सिक्किम की मिंकेट लेप्चा की फिल्म वॉयस ऑफ तीस्ता हाइड्रो टेक्नोलॉजी के उभरते रुझानों के साथ मनुष्य के अपने और समुदायों के आक्रोश, अनुकूलन और सामंजस्य की आवाजों को सुनाती और दर्शाती है और उनकी अभिव्यक्ति तीस्ता नदी के स्रोत से शुरू होकर उत्तर बंगाल के सिरे तक फैली लघु और वृहद जलविद्युत परियोजनाओं के रूप में होती है।
लद्दाख के चांगथांग की रहनेवाली मुनमुन धलारिया द्वारा निर्मित फिल्म, लद्दाख पश्मीना, पारंपरिक महिला कारीगरों पर केंद्रित है। फिल्म पश्मीना के इतिहास और उन महिला कारीगरों के बारे में बात करती है, जो वर्तमान में पश्मीना बनाने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। यह सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने और उनकी पहचान को पुनः प्राप्त करने के प्रयास में युवा पीढ़ी को चांगथांग समुदाय की अर्ध-खानाबदोश जीवन शैली के ज्ञान को प्रसारित करने के महत्व पर भी प्रकाश डालती है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में, टाटा स्टील फाउंडेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर सौरव रॉय ने पारंपरिक प्रथाओं के संरक्षण और समुदायों को प्रभावित करने वाले विषयों के बारे में बताया। समुदाय के साथ के दौरान अगले दो दिनों में आदिवासियत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ ही चर्चा होगी। इस दौरान विभिन्न राज्यों और जनजातीय समूहों के फिल्म निर्माताओं को थीम के इर्द गिर्द निर्मित अपने सार्थक वृत्तचित्रों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा।