1857 से पहले जब भारत की आजादी के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था, तभी मंगल पांडे ने अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का बिगुल फूंक कर देश में आजादी के लिए एक लहर पैदा कर दी थी
जमशेदपुरः परशुराम परिवार द्वारा भगवान परशुराम के अवतरण दिवस पर बिष्टुपुर स्थित निर्मल गेस्ट हॉउस में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ट्रैफिक डीएसपी कमल किशोर पांडेय उपस्थित थे। उनके अलावा विशिष्ट अतिथि के रूप में वर्कर्स कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. डी पी शुक्ला उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान परशुराम की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की गई। इसके बाद पंडितों ने स्वास्ति वाचन किया। मुख्य अतिथि कमल किशोर ने कहा कि ब्राह्मण ब्रह्मांड का निर्माता है। बिना सनातनी ब्राह्मण के भारतवर्ष की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। कहा कि ब्राह्मणों ने हमेशा से ही त्याग तपस्या और बलिदान से समाज का निर्माण किया है। जिस समय मुगल शासन ने अपने तलवार के बल पर भारत वर्ष में 700 साल राज किया उस समय भी, एक भी ब्राह्मण का मुगल साम्राज्य के द्वारा धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सका। वे ब्राह्मण ही हैं, जो हमेशा सनातन धर्म की रक्षा के लिए आगे आए। एक भी सनातनी ब्राह्मण को मुगल साम्राज्य डिगा नहीं पाया। इसके पीछे शक्ति ब्राह्मणों की ही थी अतः गर्व से कहो हम ब्राह्मण हैं! चाहे महाभारत ग्रंथ की बात की जाए या रामायण की रचना की, ब्राह्मण समाज ने हमेशा ही अपनी दायित्व, भूमिका को राष्ट्र और समाज निर्माण में समर्पित किया है। चाहे चाणक्य की बात की जाए या आर्यभट्ट की, ब्राह्मणों ने अपने दायित्व को निभाया है।
वर्कर्स कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर डीपी शुक्ला ने कहा कि 1857 से पहले जब भारत की आजादी के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था, तभी मंगल पांडे ने अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का बिगुल फूंक कर देश में आजादी के लिए एक लहर पैदा कर दी। 5000 साल पहले श्री कृष्ण एवं सुदामा की मित्रता का व्याख्यान आज भी लोग करते हैं। सुदामा जी त्याग और तपस्या के बल पर प्रभु श्री कृष्ण के परम मित्र बने। सुदामा ने आज तक अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा था। वे हमेशा प्रभु के चरणों में समर्पित होकर प्रभु भक्ति में लीन थे। श्री शुक्ला ने कहा कि, वह ब्राह्मण समाज ही है, जिसने शिक्षा के साथ-साथ शस्त्र का निर्माण भी किया है। अत: समाज को एकत्रित होकर अपने आने वाले पीढ़ी को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी देना होगा।
इस मौके पर ब्रजेन्द्र नाथ मिश्रा, आलोक रंजन, कृष्णा बनर्जी, निशान, कन्हैया पांडेय, आंनद, अभिषेक, सौरभ बनर्जी, सुशांत कुमार, आशीष कुमार, बसंत कुमार, नीलकंठ राव, विजय कुमार, हरिराम ओझा, सत्यनारायण मिश्रा, मुन्ना चौबे, कन्हैया ओझा, जगमनजय पांडे, आरके दुबे, सत्यनारायण मिश्रा, शशिकांत तिवारी, जयराम मिश्रा, आलोक रंजन, आशीष कुमार, पूरबी चटर्जी, अधिवक्ता बी कामेश्वरी उमा, चंद्र भूषण ओझा, इंद्र कुमार दुबे, रवि उपाध्याय, संतोष कुमार मिश्रा, अंकित तिवारी, गौरी शंकर कुमार, अखिलेश्वर कुमार ओझा, हरिराम तिवारी, पंडित चंद्र प्रकाश शुक्ला, पंडित जगदीश तिवारी, पांडे सुदर्शन दत्त, लक्ष्मी नारायण तिवारी, कामेश्वर पांडे, राजीव रंजन पांडे, कामता प्रसाद तिवारी, प्रमोद कुमार ओझा, धर्मेंद्र सिंह, विजय कुमार चौबे, उमेश पांडे, नरेंद्र चौबे आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विष्णु भगवान पाठक एवं मंच संचालन संजीव आचार्य, स्वागत भाषण अधिवक्ता भगवान मिश्रा और धन्यवाद ज्ञापन राकेश पांडेय ने किया।