देश में आज CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून लागू हो गया है। केंद्र की मोदी सरकार ने CAA कानून से जुड़ा नोटिफिकेशन आज जारी कर दिया। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले CAA कानून से जुड़ी अधिसूचना जारी होने के बाद अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। हालांकि इस कानून के लागू होने के बाद एक पक्ष द्वारा इसका विरोध भी किया जा रहा है। इसे देखते हुए राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था भी दुरुस्त किए गए हैं।
CAA लागू होने के बाद अब मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी देश से आने वाले अन्य धर्म के लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा एक वेबसाइट भी तैयार किया गया है। इन तीन मुश्लिम बहुल देशों से आने वाले गैल मुस्लिम अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद जांच के बाद उन्हें नागरिकता प्रदान की जाएगी। खास बात यह है कि इन तीन मुस्लिम बहुल देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को किसी तरह का डॉक्यूमेट्स देने की जरूरत नहीं होगी।
आपको बता दें कि वर्ष 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया था। इसमें तीन देशों से 31 दिसंबर 2014 के पहले आने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था। नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में ही होगा। इसके लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया गया है। 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण लेने वाले लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, लेकिन अब उन्हें कानूनी रूप से नागरिकता मिल सकेगी।
खास बातें
सीएए कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, पारसी और बौद्ध अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।
नागरिकता के लिए उपरोक्त तीन देश से आने वाले लोगों को विगत 14 सालों में कम से कम 5 साल भारत में रहना चाहिए। पहले यह अवधि 11 साल की थी।
सीएए कानून भारत के संविधान की छठी अनुसूची में शामिल इलाकों में लागू नहीं होगा। इन इलाकों में असम के ट्राइबल क्षेत्र, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के साथ ही असम के कारबी आंगलोंग, मेघालय का गारो हिल्स, मिजोरम का चकमा जिला और त्रिपुरा के ट्राइबल इलाके शामिल हैं।
इस कानून के लागू होने के बाद दूसरे देश से आए मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस कानून के तहत नागरिकता नहीं दी जा सकती। वैसे सरकार ने अन्य समुदायक के आवेदन पर व्यक्तिगत रूप से विचार करने की बात कही है।