रांची : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने खेलगांव स्थित टाना भगत इनडोर स्टेडियम में शुक्रवार को माध्यमिक विद्यालयों के लिए नवनियुक्त 3469 स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के बीच नियुक्ति पत्र का वितरण किया। मुख्यमंत्री ने इस दौरान आयोजित समारोह में कहा कि यह तो शुरुआत है। बहुत जल्द हजारों की संख्या में शिक्षक नियुक्त होंगे। मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि इतने बड़े समूह में माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों को एक साथ नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति पत्र नहीं एक जिम्मेदारी है। बच्चों के भविष्य को संवारने का अहम कार्य आपको करना है। बच्चे हर दृष्टिकोण से मजबूत हों, इसमें आपकी अहम भूमिका होने वाली है। समाज में शिक्षक “भगवान” के समान होते हैं। ऐसे में आप अपने कार्यों का निर्वहन इस तरह करें कि वह पूरे समाज और राज्य के लिए मील का पत्थर साबित हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हो चुका है। पिछले तीन वर्षों में जेपीएससी सिविल सर्विसेज, सहायक लोक अभियोजक, कृषि पदाधिकारी, पशु चिकित्सा पदाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी, आयुष चिकित्सक और सहायक अभियंताओं समेत कई पदों पर बड़े पैमाने पर नियुक्ति हो चुकी है। इसके अलावा शिक्षकों और अन्य पदों पर भी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि सरकारी विभागों के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में भी लगातार रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा रहे हैं। हमारी सरकार ने अब तक निजी कंपनियों में 10 हजार से ज्यादा युवाओं को नियोजित करने का कार्य किया है। मुझे इस बात की खुशी है कि यहां से काम करने के बाद कई नौजवान विदेशों में भी अपने कार्यों से झारखंड का मान सम्मान बना रहे हैं। इतना ही नहीं, अब निजी क्षेत्र में होने वाली नियुक्तियों में 75 प्रतिशत नियुक्ति स्थानीय को देना अनिवार्य कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। इस दिशा में क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों के पद पर भी नियुक्ति की गई है। मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त शिक्षकों से कहा कि उनकी जहां भी पोस्टिंग होती है, वहां की स्थानीय भाषा को वे जरूर सीखें और बच्चों के साथ उसी भाषा में संवाद करें। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों के बच्चे भी निजी स्कूलों की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करें। इसी सोच के साथ सरकार ने पहले चरण में 80 उत्कृष्ट विद्यालयों की शुरुआत की है। आने वाले दिनों में 5 हजार विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालयों का दर्जा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के लिए यहां के आदिवासियों और मूल वासियों ने लंबा संघर्ष किया। हजारों लोगों ने अपनी शहादत दी। लेकिन, अफसोस इस बात का है कि प्रचुर खनिज संसाधनों के बाद भी झारखंड देश के पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। यह राज्य समस्याओं के जंजाल में भी जकड़ा है। ऐसे में हमारी सरकार ने झारखंड को तमाम समस्याओं से निकालकर देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने का संकल्प ले रखा है, और इस दिशा में हम तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वंदना डाडेल, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार, जेईपीसी की स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर किरण कुमारी पासी, माध्यमिक शिक्षा निदेशक सुनील कुमार और झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार महतो समेत कई पदाधिकारी मौजूद थे।