पूर्वी सिंहभूम जिले का दक्षिणी ईचड़ा पंचायत भ्रष्टाचार की नजीर बना हुआ है . पंचायत में सरकारी योजनाओं की राशि का बंदरबांट कैसे होता है ये देखने के लिए इस पंचायत में एक बार जरुर आना चाहिए . सबसे मज़े की बात ये है की पंचायत में अलग – अलग योजनाओं पर लाखों रुपयों का काम चल रहा होता है मगर मुखिया को ही ये बात पता नहीं होती है . पूछने पर मुखिया प्रखंड विकास पदाधिकारी से प्रखंड विकास पदाधिकारी कनीय अभियंता से जानकारी लेने की बात कहकर अपना – अपना पल्ला झाड लेते हैं . वही इस पंचायत में बिचौलियों की मौज है क्योंकि उन्हें काम करने का के लिए किसी ग्राम सभा के अनुमोदन या मुखिया के आदेश की जरुरत ही नहीं होती बस प्रखंड विकास पदाधिकारी का मौखिक आदेश आया और लाखों की योजनाओं पर काम शुरू हो जाता है . ताजा मामला यूसिल शिव मंदिर के किनारे गुर्रा नदी पर बन रहे छठ घाट के निर्माण का है . यहाँ पर दो लाभुक समितियों द्वारा काम शुरू भी कर दिया गया है मगर कार्य स्थल पर योजना की जानकारी से सम्बंधित बोर्ड ही नदारद है . क्योंकि अभी तक काम का प्राक्कलन ही तैयार नहीं है . मुखिया मंजरी बांद्रा से इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने साफ़ कहा की उन्हें इस योजना की जो 10 लाख रुपये की है जानकारी ही नहीं है . यह सब काम बीडीओ मैडम ने अपने लोगों को दिया है . मामला जब उजागर हुआ तब आनन फानन में मुखिया ने काम रोकने का आदेश दिया . क्योंकि ग्राम सभा में छठ घाट में चेंजिंग रूम और शौचालय बनाने का उल्लेख है मगर वहां सारे नियमो को दरकिनार करके घाट का निर्माण किया जा रहा है . यह काम कब शुरू हुआ कौन कर रहा है इसकी जानकारी मुखिया को ही नहीं है . मगर काम रुकने की देर थी की बीडीओ ने मुखिया को फटकार लगा कर काम फिर से शुरू करवा दिया . यह झारखण्ड में बिचौलियों के प्रभाव का शायद पहला मामला होगा जिसमे मुखिया अपने ही पंचायत में अपनी या ग्राम सभा की मर्जी से कोई काम नहीं करवा सकती इसके लिए उसे दलालों के माध्यम से आदेश लेना पड़ता है . उसपर भी एक ही तरह की योजना के लिए एक ही स्थान पर दो -दो बार एक ही समय पर निर्माण कार्य किया जा रहा है . और वो भी बिना प्राक्कलन तैयार किये . जो नियमो के हिसाब से संभव ही नहीं है . दक्षिणी ईचड़ा पंचायत में विगत पांच सालों से इसी कार्य संस्कृति से पंचायत की योजनाओं पर काम हो रहा है शायद यही कारण है की कोई भी निर्माण कार्य एक साल से अधिक नहीं टिकता . और एक निर्माण कार्य पूरा होते -होते पहले वाले काम को करने का फिर से वर्क आर्डर तैयार रहता है . और काम करने वाला भी वही व्यक्ति होता . किसी समिति या संवेदक की क्या मजाल जो दक्षिणी ईचडा पंचायत में काम करने के बारे में सोच भी ले . मुखिया की बात छोड़ भी दें तो पंचायत समिति सदस्य और वार्ड सदस्य तक को काम होने के बाद पता चलता है की उसके पंचायत में यह काम हुआ है . खुद पंचायत समिति सदस्य चंदा मुखी ने इस बात को कहा की उन्हें किसी ने फ़ोन के माध्यम से भी नहीं बताया की उनके पंचायत में 14वें वित्त आयोग से कोई योजना चल भी रही है
वहीँ एक तरफ प्रखंड विकास पदाधिकारी सीमा कुमारी का कहना है की 14वें वित्त आयोग की धनराशी खर्च करने के लिए उसी मद में लाभुको को काम दिए गए हैं. वरना 15वें वित्त आयोग से वित्तीय राशि नहीं मिलेगी .
वहीँ कनीय अभियंता शीतल महापात्र का कहना है की घाट के निर्माण के लिए 14वें और 15वें वित्त आयोग से काम दिया गया है . तो क्या बिना 15वें वित्त आयोग की राशि मिले ही लाभुक समिति को काम दे दिया गया है ? यह एक गंभीर प्रश्न है . उसपर भी गौरतलब बात ये है की घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन ने शिव मंदिर के पीछे स्थित गुर्रा नदी छठ घाट में स्नानघर निर्माण का विगत 17 / 10 / 2022 को शिलान्यास किया है जिसका क्रियान्वन होना है . ऐसे में एक छोटे से घाट में कितने स्नान घर बनाये जाएंगे ? मतलब साफ़ है स्नानघर तो बहाना है निर्माण के बहाने सरकारी राशि को पचाना है . चूँकि स्नानघर बनाकर इतनी भारी भरकम राशि पचाई नहीं जा सकती इसलिए पूरी योजना को ही अपने मन के मुताबिक बदल दिया गया है .
भाजपा के जिला प्रवक्ता विनोद सिंह ने इन योजनाओं को सीधे तौर पर सरकारी रुपयों की लूट बताया है . उन्होंने कहा की बिचौलियों की साजिश मुखिया को जेल की यात्रा करवा सकती है . जल्द ही जिले की उपायुक्त से मिलकर पूरे मामले को उनके सामने रखकर दक्षिणी ईचड़ा पंचायत में अब तक जितने भी काम हुए हैं सबकी जांच करवाने की मांग करेंगे .