बहरागोड़ा के पाथरी पंचायत अंतर्गत मधुआबेड़ा, गुहालडीही, चड़कमारा, बामडोल समेत दर्जन भर गांव के किसान भगवान भरोसे सब्जी की खेती करते हैं. किसान बरसात का इंतजार कर रहे हैं. यहां के किसान खीरा, करेला, झींगा, कद्दू आदि सब्जी लगभग 1000 बीघा में करते हैं. कई किसान पानी खरीदते हैं. वर्ष 1990 में उद्भव सिंचाई योजना से कुलियंक- मोहनपुर मौजा बनी थी. खेतों तक पाइपलाइन बिछायी गयी थी जो कुछ साल तक किसानों के लिए कारगर साबित हुई. विभागीय उदासीनता के कारण उद्भव सिंचाई योजना धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गयी. यहां उत्पादित खीरा प्रति किलो 25-30 रुपए की दर से उड़िसा, पश्चिम बंगाल और बिहार भेजा जा रहा है. गांवों में हर रोज मंडी लगती है जहां से व्यापारी खीरा खरीद कर ले जाते हैं. यहां के किसान ओडिशा, पश्चिम बंगाल व झारखंड के अन्य हिस्सों में सब्जियां भेजते हैं. कई किसान निजी सबमर्सिबल से पानी खरीद कर खेती करते हैं. इससे किसानों की आमदनी काफी कम हो जाती है. इस संबंध में विधायक समीर महंती ने विधानसभा सत्र में उक्त मामले को उठाया था. सिंचाई की व्यवस्था करने में सरकार पुनः विचार करें. किसानों का कहना है कि हम साल में दो बार खेती करते है. लेकिन आज भी किसान मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.