जमशेदपुरः सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं। वे न केवल अपेक्षाकृत कम पूंजी लागत पर रोजगार के अवसर पैदा करने में एक जबरदस्त भूमिका निभाते हैं, बल्कि औद्योगीकरण और अर्थव्यवस्था के औपचारिककरण का भी समर्थन करते हैं। क्षेत्रीय असंतुलन को कम कर वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सीआईआई (CII) का मानना है कि एमएसएमई के लिए सलाह, वित्त पोषण, गुणवत्ता मानकों, विपणन इनपुट और प्रौद्योगिकी अधिग्रहण से संबंधित संपूर्ण समर्थन संरचना को मजबूत करने की आवश्यकता है। इसे लेकर सीआईआई द्वारा शहर स्थित एक होटल में एमएसएमई कॉन्क्लेव के अपने चौथे संस्करण का आयोजन किया गया। झारखंड एमएसएमई के लिए ग्लोबल वैल्यू चेन को फिर से सक्रिय करना, थीम पर आधारित इस कॉन्क्लेव में भारतीय रेलवे के साथ व्यापार, एमएसएमई वित्तपोषण और एमएसएमई के लिए चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भारत सरकार के एमएसएमई विकास संस्थान के संयुक्त निदेशक इंद्रजीत यादव ने आरएएमपी योजना और जेडईडी योजना से भी अवगत कराया। उन्होंने बताया कि बोकारो में एमएसएमई-डीआई द्वारा एक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी केंद्र लाया जा रहा है, जो एमएसएमई से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा।
सीआईआई झारखंड स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष और हाईको इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीईओ तापस साहू ने कहा कि एमएसएमई व्यावसायिक नवाचारों के माध्यम से उद्यमशीलता की संस्कृति को फैलाने में योगदान दे रहे हैं। एमएसएमई की अनूठी विशेषता यह है कि वे स्थानीय और साथ ही वैश्विक बाजारों को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के उत्पादों और सेवाओं का उत्पादन करने वाली अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैले हुए हैं। कहा कि एमएसएमई क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग एक-तिहाई के लिए जिम्मेदार है और इसमें विस्तार के लिए जबरदस्त जगह है।
मौके पर सीआईआई ईआर एमएसएमई उपसमिति के सह अध्यक्ष और रॉयल बालाजी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी रितेश अग्रवाल ने कहा कि झारखंड हमेशा अपने अतीत के गौरव और वर्तमान विकास के साथ एमएसएमई पर विशेष ध्यान देने के साथ विनिर्माण क्षेत्र में सबसे आगे रहा है। वहीं सीआईआई झारखंड एमएसएमई पैनल के संयोजक और टाटा मोटर्स के जीएम (सप्लाई चेन) राजीव बंसल ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र पिछले पांच दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था के एक अत्यधिक जीवंत और गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरा है। यह कृषि के बाद अपेक्षाकृत कम पूंजी लागत पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और रोजगार के बड़े अवसर पैदा करके देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। एमएसएमई सहायक इकाइयों के रूप में बड़े उद्योगों के पूरक हैं और यह क्षेत्र देश के समावेशी औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। एमएसएमई घरेलू और साथ ही वैश्विक बाजारों की मांगों को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के उत्पादों और सेवाओं का उत्पादन करते हुए, अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में अपने डोमेन का विस्तार कर रहे हैं।
इस दौरान अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) के कार्यकारी निदेशक एके भारती, ब्रेथवेट एंड कंपनी के निदेशक (उत्पादन) सलीम जी पुरुषोत्तमन, चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स के उप मुख्य सामग्री प्रबंधक सुप्रीत कोनार, मल्टीटेक कंपोनेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक कृष्ण कुमार खारिया, बीओआई के अंचल प्रबंधक अनुज कुमार अग्रवाल, सिडबी के सहायक महाप्रबंधक सुमिरन एल.राज, विजय मलिक, और टाटा मोटर्स ट्रांसमिशन फैक्ट्री के प्रमुख प्रदोष मोहंती ने भी संबोधित किया। कॉन्क्लेव में 100 से अधिक उद्योग प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।