जमशेदपुरः अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2023 के अवसर पर युगांतर भारती और टाटा स्टील जुलॉजिकल सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में ” इंट्ररनेशनल बायोडाइवर्सीटि डे” संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्मश्री जमुना टुडू शामिलहुईं। वहीं विशिष्ट अतिथि विधायक सरयू राय, टाटा स्टील जुलॉजिकल सोसाइटी के डायरेक्टर मेहुल चक्रवर्ती, डाँ आर के सिंघ, डॉ रघुराम टाटा, विनिता शाह, धर्मेंद्र तिवारी, अजय कुमार सिंह शामिल हुए.
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित पर्यावरणविद सह जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने अपने संबोधन में कहा की जैव विविधता को बचाने के लिए 1972 से लेकर अबतक विश्व में बहुत से कानून बनाए गए है. जो भी नियम कानून बनाए गए है उसे धरती पर कैसे लागू किया जा सकता है इस पर विचार करना होगा. वर्ष 1972 में रियो डी जीनेरियो में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ था उसमें यह बात उठी थी कि दुनियाभर में जो अलग-अलग जैव विविधताए हैं, संसाधन उपलब्ध है और अलग-अलग परिवेश में जो जैविक- अजैविक वस्तुए हैं उनका संरक्षण आवश्यक है. दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है की वर्तमान समय में परिवेश, पर्यावरण और पारिस्थितिकी में ऐसे परिवर्तन हो रहे जिससे मनुष्य जीवन में संकट हो गया है. वर्ष 2002 में कानून बना की जैव विविधताओं के लिए की जहां-जहां जैव विविधता पाई जाती है वहां के नागरिकों को लाभ मिलना चाहिए. सभी पंचायतो, नगर पालिकाओं में जैव विविधता का रजिस्टर तैयार करना चाहिए. जंगलों में ऐसी जड़ी-बूटी उपलब्ध है जिससे गंभीर से गंभीर बीमारी दूर हो सकती है. आयुर्वेदिक दवाओं बनाने वाले जैव विविधता का इस्तेमाल करते है. भारत जैव विविधता के मामले में दुनिया में 7वें स्थान पर है. आज विकास का रास्ता बहुत सारी जैव विविधता को नष्ट कर रहा है.
उन्होंने कहा कि विविधता का संरक्षण हो और मानव हित में इसका चिंतन जरूरी है. “फर्स्ट पर्सन सिंगुलर नम्बर ” के तहत मैं प्रत्येक दिन जैव विविधता को लाभ पहुंचाने के लिए क्या कर सकता हुँ इसपर विचार करना होगा. जो जितना अधिक पुराना पेड़ होता है उसके कटने से उसमे समाहित सभी जैव विविधताओं का नाश हो जाता है. ऐसे पेड़ जो जैव विविधता का संरक्षण, प्रोत्साहन करते है उसे वृक्षारोपण में शामिल करना चाहिए. जैव विविधता का नदियों, समुद्र में बड़ा संसार है. जैव विविधताओं की कमी के कारण आज हमारे भोजन में संकट उत्पन्न हो गया है. पश्चिमी देशों में अभियान चला “एंटिबायोटिक आफ डी मेन्यू ” अर्थात जिस भी भोजन में एंटिबायोटिक शामिल है उसका उपयोग ना हो. गंभीर बीमारी का कारण हमारी खराब भोजन प्रणाली है. इसलिए आवश्यक है की जैव विविधता का समादर, संरक्षण और प्रोत्साहन हो. 2030 तक ऐसा विकास हो सके जो सस्टेनेबल और धारणीय हो और इसमे जैव विविधता का अहम योगदान रहे.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री जमुना टुडू ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण के बिना हम सभी अधूरे हैं। पर्यावरण का संरक्षण पेड़ पौधों और जंगल से होता है। उन्होंने कहा कि वृक्ष और जंगल का संरक्षण अतिआवश्यक है।पेड़ और जंगल में ईश्वर का वास होता है। इसके कीमत पर विकास बिल्कुल उचित नहीं है। इसलिए उन्होंने शुरू से जंगल और पेड़ बचाने का कार्य किया है। इस दौरान माफियाओं ने उनपर हमला किया और घायल कर दिया लेकिन उन्होंने अपना काम नहीं छोड़ा और आज जिले भर में 500 वन सुरक्षा समिति का गठन किया है.
मंच का संचालन इ अरविन्द नामबी एवं प्रोफ़ेसर सीमा रानी ने संयुक्त रूप से किया . कार्यक्रम में अशोक गोयल, सुबोध श्रीवास्तव, मुकुल मिश्रा, अजय सिन्हा, मंजु सिंह सहित अन्य उपस्थित थे.