दुमका:-में ओलचिकी लिपि प्रचार-प्रसार अभियान चलाया गया जिले के मसलिया प्रखंड के किशोरायडी, लताबनी, पावरुडी, केन्दडंगल आदि गांव में सभा किया गया। प्रचार के दौरान माझी बाबा ने कहा ओलचिकी लिपि का आविष्कार तो 1925 में उड़ीसा में जन्मे पंडित रघुनाथ मुरमू ने किया था। ओलचिकी लिपि को सांथाली भाषा के लिए पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम राज्य सहित पड़ोसी देश नेपाल देश मान्यता देते हुए प्राथमिक स्तर पर पढ़ाई आरंभ कर दिया गया। वर्तमान केंद्र सरकार के नई शिक्षा नीति 2020 के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में मातृभाषा से पठन-पाठन होने पर प्राथमिक स्तर पर बच्चों को काफी लाभ व सहायता मिलेगा। इसीलिए संथाली भाषा के लिए ओलचिकी लिपि को व्यवहार में लाने की आवश्यकता है। जिससे आदिवासी संथाल समाज का विकास हो सके। ओलचिकी लिपि के प्रचारक दुर्गा चरण मुर्मू माझी बाबा सह प्रेस प्रवक्ता पूर्वी सिंहभूम ने कहा कि वर्तमान सरकार के विभाग द्वारा ओलचिकी लिपि का अपमान किया जा रहा है। इसी संदर्भ में आगामी दिनांक – 1 जून 2023 को स्थान- वीर शहीद बुधु भगत भवन हरमू, रांची में समय सुबह 11:00 बजे से पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था संथाल समाज के अगुआ माझी बाबा, परगना बाबा, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ताओं का बैठक आयोजन किया गया है, जिसमें समाज के काफी संख्या में प्रतिनिधि शामिल होंगे बैठक में ओलचिकी के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु उग्र आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी। संथाल समाज के लोगों से अपील है कि भारी संख्या में शामिल होकर बैठक को सफल बनाएं।
प्रचार प्रसार अभियान में मुख्य रूप से संदिप किस्कू, बाबूली किस्कू, जयंत हांसदा, हेमाशोर किस्कू, आमाचांद किस्कू, उकिल मुर्मू, बाबूराम टुडू, दुलाल चांद हांसदा, आलोसी टुडू, सुमी टुडू, सुनिता हांसदा आदि काफी संख्या में समाज के महिला पुरुष उपस्थित शामिल थे।