नई दिल्ली
टाटा स्टील फाउंडेशन (Tata Steel Foundation) और टेरी की एक संयुक्त पहल, द ग्रीन स्कूल (The Green School) ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों और पिछले कई वर्षों में हासिल विभिन्न उपलब्धियों पर अपने कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए चल रहे वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट (डब्ल्यूएसडीएस) में भाग लिया।
“फ्यूचरिस्ट्स फॉर द फ्यूचर : ए यंगर, ग्रीनर कलेक्टिव “शीर्षक वाले ‘डब्ल्यूएसडीएस 2022’ विषयगत ट्रैक के तहत आयोजित इस सत्र में वैश्विक दर्शकों के अलावा प्रतिभागी स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। सत्र के दौरान, ग्रीन स्कूल के प्रमुख हितधारकों को अपने घरेलू प्रयासों को सामने लाने और इसे दुनिया के साथ साझा करने का अवसर मिला।
इस कार्यक्रम को टाटा स्टील फाउंडेशन के डायरेक्टर एवं वीपी (कॉर्पोरेट सर्विसेज), चाणक्य चौधरी और, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) की डायरेक्टर जनरल डॉ विभा धवन ने विशेष रूप से संबोधित किया। कार्यक्रम को पंकज कुमार सतीजा, प्रबंध निदेशक, टाटा स्टील माइनिंग और सौरव रॉय, चीफ कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी, टाटा स्टील ने भी संबोधित किया।
टाटा स्टील फाउंडेशन (Tata Steel Foundation) के निदेशक चाणक्य चौधरी ने कहा कि आज के बच्चे हमारे आने वाले कल के लीडर हैं, और वे हमारे समुदायों के भविष्य को सवारेंगे। उनकी ऊर्जा को पोषित करने और उन्हें एक हरित तथा सस्टेनेबल भविष्य को सवारने में मदद करने के लिए, हमने पांच साल पहले सिर्फ 10 स्कूलों के साथ ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट शुरू किया था। पिछले कुछ वर्षों में, इस परियोजना को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और अब यह झारखंड और ओडिशा के 30 से अधिक स्कूलों को कवर करता है।
उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाने के लक्ष्य के साथ, हम ग्रीन स्कूल (The Green School) के माध्यम से छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों सहित दो लाख से अधिक लोगों तक पहुंच बनाने में सक्षम हैं। हम विभिन्न चरणों में आगे बढ़े हैं और ‘प्रकृति के साथ जीने’ की अवधारणा को अपनाने में अपनी सफलता का आकलन करने में सक्षम रहे हैं।
ग्रीन स्कूल की शुरुआत अप्रैल 2017 में हुई थी, जो झारखंड और ओडिशा में टाटा स्टील के सभी परिचालन क्षेत्रों में जारी एक पहल है, जिसमें एक समग्र वातावरण बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जहां छात्र और शिक्षक प्रकृति के साथ अपने संबंधों को सीखते तथा फिर से तलाशते हैं और स्थानीय स्तर पर संसाधन प्रबंधन पहल के माध्यम से इसका संरक्षण करने के लिए ठोस प्रयास करते हैं।
कार्यक्रम के दौरान ‘भविष्य के लिए भविष्यवादी’ पर एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई थी, जिसमें पर्यावरण के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करने और एक हरित भविष्य बनाने के इच्छुत पर्यावरण नायकों और हरित मित्रों को एक मंच पर आमंत्रित किया गया था।
टेरी की डीजी डॉ विभा धवन ने कहा कि बच्चों के लिए पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता के महत्व के बारे में सीखना जरुरी है। इस शिक्षण पद्धति का प्रभाव अब से 20 साल बाद दिखाई देगा। ये छात्र तब तक लीडर्स बन जाएंगे, तब वे उस प्रशिक्षण को अमल में लाएंगे जो उन्होंने अभी प्राप्त किया है।
इस विषयगत ट्रैक का एक महत्वपूर्ण परिणाम ‘एनरूट टू ग्रीन’ नामक एक ई-मॉड्यूल और एक हैंडबुक – ‘ग्रीन शूट्स : ऐसे मामले जो एक हरित भविष्य का संकेत देते हैं’ का शुभारंभ था। यह ज्ञान, अनुभव और कार्रवाई-आधारित कार्य का एक मिश्रण है जो परिवर्तन-निर्माता के रूप में परियोजना के प्रत्यक्ष हितधारकों अर्थात छात्रों और शिक्षकों द्वारा किया गया और उनके संदर्भ में कहानी को आगे बढ़ाया गया।
इस सत्र में युवा किशोरों द्वारा किये गए कार्यों को हरित भविष्य की ओर ले जाने में शिक्षा के महत्व पर भी चर्चा हुई।
कोड एफर्ट प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक नमन गुप्ता, जो सिगरेट बड्स का पुनर्चक्रण कर रहें हैं, और कालीचरण बसुमतारी, जिन्होंने मानस राष्ट्रीय उद्यान को बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ग्रीन स्कूल के कुछ ऐसे सदस्य थे जिन्होंने शिखर सम्मेलन के दौरान दुनिया के सामने अपने कार्यों को प्रस्तुत किया।
ग्रीन स्कूल के युवा परिवर्तन-निर्माता जिन्हें “ग्रीन फ्रेंड्स” कहा जाता है, अपने स्तर पर पहल कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक हरित ग्रह के नए युग की शुरुआत हो। ग्रीन बड्डीज में से तीन, सेंट मेरीज़ स्कूल, नोवामुंडी की छात्रा सेजल कुमारी, टाटा डीएवी पब्लिक स्कूल घाटोटांड, वेस्ट बोकारो की डिंपल और सेंट मेरीज़ स्कूल, जाजपुर की छात्रा साइना मोहंती ने दर्शकों से तालियां बटोरते हुए दुनिया के सामने अपनी पहल पेश की।
डॉ. विभा धवन ने आगे कहा कि मुझे खुशी है कि इस जर्नी ने युवाओं को सामूहिक रूप से अपने विचारों को व्यक्त करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और एक सामान्य नेटवर्क बनाने, समान विचारधारा वाले लोगों तक पहुंचने और उन्हें पर्यावरण प्रबंधन में शामिल करने में सक्षम बनाया है।