मुसाबनी प्रखंड के दक्षिणी ईचड़ा पंचायत में बिचौलिया राज का मामला गहराता जा रहा है और रोज घोटाले की नयी -नयी परतें खुल रही हैं . जिससे ये बात सामने आ रही है की किस तरह से पंचायत की मुखिया को दरकिनार कर बिचौलिए और दलालों के माध्यम से पहले पंचायत में निर्माण कार्य होता है उसके बाद सुविधा के हिसाब से लाभुक समिति का नाम डाला जाता है प्राक्कलन राशि तय की जाती है और मुखिया को पता तब चलता है जब उसके पास अंतिम भुगतान राशि का विपत्र हस्ताक्षर होने के लिए आता है . इस बात का खुलासा खुद मुखिया मंजरी बांद्रा ने किया है .
इस खुलेआम लूट के मामले के सामने आने के बाद मुसाबनी प्रखंड प्रमुख रामदेव हेम्ब्रम अपनी टीम के साथ जादूगोड़ा पहुंचे और उत्तरी एवं दक्षिणी ईचड़ा पंचायतो की योजनाओं और चल रहे कार्यों का गहन निरिक्षण किया . जिसमे उन्होंने दक्षिणी ईचड़ा पंचायत में कई प्रकार की वित्तीय गड़बड़ियाँ पाई .
प्रखंड प्रमुख ने बताया की दक्षिणी ईचड़ा अंतर्गत यूसिल शिव मंदिर के पीछे स्थित गुर्रा नदी छठ घाट में जो 10 लाख रुपयों की लागत से घाट निर्माण की बात सामने आयी है यह कार्य पंचायत कोष से नहीं किया जा रहा है. इस कार्य को करने के लिए ग्राम सभा या मुखिया द्वारा किसी भी लाभुक समितियों को काम करने की स्वीकृति नहीं दी गयी है और न ही कार्य से सम्बंधित कोई दस्तावेज पंचायत में उपलब्ध है . इसके साथ ही यूसिल कम्पनी द्वारा बेकार घोषित कर बंद किये गए बस स्टैंड की मरम्मत के सम्बन्ध में भी उन्होंने कहा की ये काम पंचायत स्वीकृति के नाम पर हो रहा है मगर इसकी जानकारी मुखिया को नहीं है . और न ही किसी दस्तावेज में इस योजना का उल्लेख है .
दक्षिणी ईचड़ा पंचायत में हावी दलाल संस्कृति और मनमाने ढंग से सरकारी राशि की लूट के मामले पर उन्होंने कहा की की पहले इस मामले को प्रखंड स्तर पर रखकर कारवाई का अनुरोध किया जायगा अगर यहाँ से कोई कारवाई नहीं हुई तो पूरे मामले को जिले की उपायुक्त के सामने रखकर कारवाई का आग्रह किया जायगा . उन्होंने कहा की मुसाबनी प्रखंड में चल रही दलाल संस्कृति को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जायगा .
मुखिया मंजरी बांद्रा ने कहा की छठ घाट और बस स्टैंड के निर्माण की कोई भी स्वीकृति किसी को भी नहीं दी नहीं दी गयी अगर कोई निर्माण कार्य कर रहा है तो वो उसकी जिम्मेदारी है . पंचायत इसके लिए किसी भी तरह का भुगतान नहीं करेगी . जब तक नियमसम्मत कार्य का आवंटन नहीं होता है सभी कार्य रोक दिए गए हैं . जब सबकुछ दस्तावेजो में आ जायगा तब लाभुक समितियों का चयन कर उन्हें काम दे दिया जायगा . उन्होंने विगत दिनों बीस सूत्री सदस्य द्वारा निरिक्षण और नाराजगी के सम्बन्ध में कहा की जो काम मुखिया ने दिया ही नहीं उसके लिए किसी की नाराजगी और शिकायत का कोई महत्व ही नहीं है .
वतर्मान में दक्षिणी ईचड़ा पंचायत में चल रहे काम के सम्बन्ध में प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर कनीय अभियंता तक दो दिनों से केवल मोबाइल फोन पर ही प्राक्कलन और स्वीकृति की बात कर रहे है मगर धरातल पर हकीकत तो ये है की घोटाले का खुलासा होने के बाद से पूरा महकमा सकते में है और उस व्यक्ति को तलाश रहा है जिसने ये राज खोल दिया . और वर्षों से चली आ रही लूट और दलाल संस्कृति का पर्दाफाश हो गया . इसी उधेड़बुन में कनीय अभियंता समय देकर भी पंचायत कार्यालय नहीं पहुँच पा रहे है . क्योंकि अभी तक उनके पास अंतिम प्राक्कलन दस्तावेज तैयार ही नहीं है .
इस बात का पता तब चला जब छठ घाट और बस स्टैंड निर्माण के काम को प्रखंड विकास पदाधिकारी 14वें वित्त आयोग का बता रही थी तो उसी काम को कनीय अभियंता 15वें वित्त आयोग से हुआ बता रहे हैं . मगर धरातल में मुखिया के पास इन योजनाओं के कार्यान्वन से सम्बंधित कोई दस्तावेज ही नहीं है . और यही इस बात को बल देता है की पूर्वी सिंहभूम जिले के सभी प्रखंडो में से किसी में अगर महाघोटाला है तो वो दक्षिणी ईचड़ा पंचायत में है .
