मोहित कुमार
दुमका रेलवे स्टेशन इन दिनों काफी चर्चा में है। दरअसल यह चर्चा विकास कार्यों को लेकर नहीं बल्कि रेलवे प्लैटफॉर्म के समीप बने कोयला रैक से होने वाले प्रदूषण को लेकर हो रहा है। हालांकि आसनसोल रेल डीआरएम परमानंद शर्मा ने शनिवार को निरीक्षण के बाद प्रदुषण से इंकार करते हुए पूरे मामले को ही खारिज कर दिया । डीआरएम के बयान से स्थानीय लोग काफी निराश हैं और आंदोलन के मुड में हैं। दुमका रेलवे स्टेशन के निरिक्षण के क्रम में डीआरएम ने रूट डायवर्ट करने की बात कही जिससे कि प्रदूषण कम हो जाए । श्री शर्मा ने एक्यूआई लेबल को भी ठीक कहा, मगर यह तथ्यों पर गौर करें तो रविवार की सुबह 09:06 बजे तक वायु का एक्यूआई लेबल 223 था जो कि खतरे के निशान को पार बताने के लिए काफ़ी है। कोयला डंपिंग यार्ड के नजदीक रहने वाले लोगों के घरों की हालत इस इस प्रदुषण के कारण काफी बुरी है l लोगों के छत, पानी की टंकी, फर्श और यहां तक कि हर सामान कोयला डस्ट से भरा पड़ा है ऐसे में भविष्य में आम लोगों के बीच गंभीर बिमारी फैलने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है l पर इन सबकी चिंता छोड़ रेलवे तो अपना विकास करने में लगा हुआ है। रेल डीआरएम साफ साफ कहते हैं कि आर्थिक विकास के साथ ही यात्रियों की सुविधाओं में भी वृद्धि होगी। पर जब बात स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य की आती है तो सभी पदाधिकारी चुप्पी साध लेते हैं l
परमानन्द शर्मा – डीआरएम , आसनसोल रेल मंडल
डीआरएम के बयान की निंदा करते हुए स्थानीय नागरिक जगन्नाथ पंडित और नमिता शर्मा ने कहा कि कि वरीय पदाधिकारी तो आते है और चले जाते हैं जरा हमारे घरों की ओर झांक लें तो बेहतर होगा तब पता चलेगा कि प्रदुषण होता क्या है । गौरतलब है कि केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार एक्यूआई लेबल 0 से 50 के बीच अच्छा,51 से 100 के बीच संतोषजनक , 101 से 200 के बीच मध्यम , 201 से 300 के बीच खराब , 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है। अब यदि दुमका में सुबह के वक्त यह लेबल 223 था तो दिन में क्या स्थिति होगी ? इसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है l बहरहाल रेल अपने फायदे में लगी है पर जनता आंदोलन के मुड में है l