चाकुलिया का बांस देश भर में अपनी गुणवत्ता और टिकाऊपन के लिए मशहूर है . हर साल ट्रकों में भरकर यहाँ का बांस देश के कोने – कोने में भेजा जाता है. चाकुलिया क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों की एक बड़ी आबादी बांस के व्यवसाय पर ही निर्भर है . इधर मानसून के दस्तक देने के साथ ही चाकुलिया एवं बहरागोड़ा प्रखंड के बांस किसानों में खुशी की लहर है. इसका मुख्य कारण यह है कि इस वर्ष अच्छी मानसून के कारण बांस के झाड़ में कोपलों की निकलने वाली संख्या काफी बढ़ गई. बांस के कोपलों की संख्या बीते कई वर्षों की तुलना में इस वर्ष कम संख्या में निकल रही है. ज्ञात हो कि चाकुलिया बहरागोड़ा इलाके में बांस की व्यापक पैमाने पर खेती होती है. यहां के ग्रामीण अंचल के लोगों का नकदी फसल के रूप में भी जाना जाता है. करीब साल के 9 महीने तक लोग बांस को बेचते हैं. 2 से 3 साल में बांस के पौधे तैयार हो जाते हैं और इसे काट कर होलसेल व्यापारियों को लोग बेचना प्रारंभ कर देते हैं. चाकुलिया क्षेत्र के अंतर्गत में कई लाइसेंसी डिपो है. इसके अलावे छोटे-मोटे करीब 40 से अधिक सब डिपो जहां पर छोटे छोटे व्यापारी ग्रामीणों से बांस को संग्रह कर इकट्ठा करते हैं और बाद में उसे प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में बिक्री करते हैं. बांस की कोपले निकलने पर किसान कुछ दिनों के लिए तकरीबन डेढ़ से 3 महीने तक बांस की झाड़ की कटाई करना बंद कर देते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक चाकुलिया प्रखंड में करीब डेढ़ हजार से भी अधिक लोग बांस के व्यवसाय पर निर्भर हैं तथा उनके आजीविका का आधार बांस की कटाई और बिक्री ही है. यह बताते चलें कि चाकुलिया क्षेत्र इलाके में उत्पादित की क्वालिटी काफी उत्तम किस्म की है इसलिए हरियाणा, यूपी, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में बांस की आपूर्ति होती है. हालांकि हाल के दिनों में बारिश होने के कारण इसकी गति धीमी पड़ी है. वन विभाग के द्वारा भी समय-समय पर किसानों को बांस रोपण के लिए पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं. अमूमन लगभग 5 साल में बांस के झाड़ से लोगों को करीब करीब 25 से 50 हजार तक की आमदनी होनी शुरू हो जाती है. अतः इस कारण से चाकुलिया के ग्रामीण अंचलों में परती जमीन पर लोग बांस लगाना पसंद करते हैं.
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