Mohit Kumar
दुमकाः दुमका और आस-पास के क्षेत्रों में कोयले की ढुलाई से हो रहे प्रदूषण को लेकर लोग काफी परेशान हैं। बार-बार शिकायत, मांग और आंदोलन के बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे लोगों में नाराजगी है। आक्रोशित लोगों ने दुमका रेलवे स्टेशन से कोयला ढुलाई बंद कराने और बिना आबादी वाले क्षेत्र में इसके स्थानांतरण की मांग को लेकर आज धरना-प्रदर्शन किया। स्थानीय लोगों ने उपायुक्त को इससे संबंधित एक मांगपत्र भी सौंपा।
लोगों का कहना है कि पिछले दो वर्षों से दुमका के लोग विरोध दर्ज कराते आ रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि दुमका रेलवे स्टेश के पास काफी घनी आबादी है। स्टेशन से कोयले की ढुलाई होने के कारण रसिकपुर, नेतुरपहाड़ी, श्रीआमड़ा, कोल्हड़िया, करुवा, हथियापाथर आदि गांव के साथ ही स्कूल-कॉलेज सभी जगह गंदगी और डस्ट के कारण लोग परेशान है।
मामले में रसिकपुर मोहल्ला के रविशंकर मंडल ने वर्ष 2020 में एनजीटी में शिकायत की थी। मामले में एनजीटी द्वारा कई बार कोयला कंपनी पर जुर्माना लगाया गया, साथ ही काम को भी कोर्ट द्वारा रोका गया था, लेकिन कंपनी को इसकी कोई परवाह नहीं है। कंपनी द्वारा एनजीटी के आदेश को धत्ता बताते हुए रात के अंधेरे में गलत कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है।
फलस्वरुप प्रदूषण पर रोक नहीं लग पा रही है। प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी ने कोयला कंपनी पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया साथ ही एक कमेटी बनाने का आदेश दिया। इसके बावजूद अब तक कमेटी का गठन नहीं हुआ और न ही रसिकपुर के लोगों और शिकायतकर्ता को ही कोई सूचना दी गई। कमेटी में भी स्थानीय किसी को शामिल नहीं किया गया है।
इसके बाद आज लोगों ने डीसी को मांगपत्र देकर सूची उपलब्ध कराने की गुजारिश की, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला है। थक हारकर स्थानीय लोग आज रेलवे स्टेशन परिसर में ही एक दिवसीय धरना पर बैठ गए। लोगों का कहना है कि कमेटी में रसिकपुर निवासी शिकायतकर्ता को शामिल नहीं किया जाता है तो, धरना-प्रदर्शन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा।
स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे रवि शंकर मंडल ने कहा कि यह मुद्दा बहुत ही भयावह रूप लेता जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण से आमजन के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। यह सिर्फ रेलवे स्टेशन के आसपास रहने वालों को ही नहीं बल्कि पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लेगा, इसलिए अविलंब कोयला रैक को यहां से हटाने के लिए सभी को एक होना पड़ेगा।
वहीं गिरधारी झा ने कहा कि ताजुब्ब है कि इतनी घनी आबादी और शिक्षण संस्थान और सौ गज के दायरे में प्लेटफार्म रहने के बावजूद यहां पर कोयला रैक बनाने की अनुमति दी गई। यहां की जनता को रेलवे प्रशासन ने ठगने का काम किया है। श्री झा ने कहा कि रेलवे प्रबंधन को दुमका से कोयला रैक हटाना ही होगा।
वहीं मेलर समाज के नेता सह स्थानीय निवासी मनोज सिंह मेलर ने कहा कि उन सभी का सपना था कि दुमका में रेल आए सपना पूरा भी हुआ पर यह इतना भयावह होगा इसकी कल्पना भी नहीं की थी। उन्होंने साफ कहा कि दुमका रेलवे स्टेशन संभवतः पहला रेलवे स्टेशन है जहां प्लेटफार्म के इतने नजदीक कोयला डंपिंग यार्ड बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अब आंदोलन तेज होगा। मेलर ने कहा कि हम रेलवे को मनमानी नहीं करने देंगे।