UCC लागू करने के बाद केंद्र सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा एक नया नियम यानी एक समान संहिता (UCPMP) नोटिफाई किया है। इसके जरिए अब डॉक्टरों और दवा कंपनियों पर नियंत्रण करने की तैयारी कर ली गई है। इसके तहत अब दवा कंपनियां अपनी दवाओं को प्रमोट करने के बदले डॉक्टरों को गिफ्ट, सेमिनार के नाम पर फॉरेन टूर या किसी भी अन्य तरीके से फायदा नहीं पहुंचा सकेंगी। ऐसा करते पाए जाने पर दवा कंपनियों के खिलाफ उसी तरह की कार्रवाई की जाएगी, जैसा रिश्वत देने के मामले में किया जाता है।
साल 2022 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा डोलो-650 टैबलेट लिखने के लिए डॉक्टरों को एक हजार करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार देने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद से ही एक यूनिफॉर्म कोड बनाने की मांग उठ रही थी। इसे लेकर सरकार ने साल 2014 में यूसीपीएमपी को लेकर दिशा निर्देश जारी तो किया था, लेकिन यह उतना मजबूत नहीं था, यानी कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं था। अब जो नया नियम लाया गया है, इसके तहत डॉक्टरों को अनैतिक रूप से दवा ब्रांडों को बढ़ावा देने का दोषी पाया गया तो फार्मा कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के संयुक्त सचिव रविंद्र प्रताप सिंह ने देश के सभी फार्मास्युटिकल्स एसोसिएशन को लिखे पत्र में सभी एसोसिएशन को आचार समिति गठित करने को कहा है। इशके साथ ही अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर यूसीपीएमपी पोर्टल का जिक्र भी करने के साथ ही समान संहिता का पालन करने की जरूरत बताई है।
इस यूसीपीएमपी में इस बात को भी पूरी तरह साफ किया गया है कि किसी भी ऐसे व्यक्ति को दवा के फ्री सैंपल नहीं दिए, जो ऐसे उत्पाद को लिखने के लिए योग्य नहीं है। इतना ही नहीं कंपनी को हर उत्पाद का नाम, डॉक्टर का नाम, दिए गए सैंपल की मात्रा, फ्री सैंपल की आपूर्ति की तारीख जैसे विवरण देने होंगे।