सारांश
अगर आपके पास धनबल और बाहुबल हो तो कोई भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि सब कुछ आईने की तरह साफ है। रामकृष्णा फोर्जिंग के सीपीओ शक्तिपदो सेनापति ने पुलिस और पत्रकारों के साथ बदसलूकी की, कैमरे तोड़े, पुलिस का कॉलर पकड़ा और बाद में सभी के खिलाफ काउंटर केस का भी प्रयास किया। घटना के दिन उसने एएसआई सहित अन्य पुलिसकर्मियों को उनकी वर्दी उतरवाने तक की धमकी दे डाली थी। वैसे उसकी तलाश में छापेमारी जारी है….
जमशेदपुर : यहां आम आदमी के साथ कोई घटना हुई होती तो बात समझ में आती, लेकिन यहां तो पत्रकारों के साथ घटना हुई है और पुलिस प्रशासन की नजर में पत्रकार एक आम आदमी से भी गया गुजरा है, यही कारण है कि पत्रकारों के साथ अगर कोई घटना होती है तो उन्हें धरना प्रदर्शन करना पड़ता है और इसका कोई परिणाम निकले इसकी भी कोई गारंटी नहीं होती, लेकिन यहां तो मामला पुलिस के साथ भी जुड़ा हुआ है। रामकृष्ण फोर्जिंग के सेनापति ने तो एक एसआई का कॉलर तक पकड़ लिया, पत्रकारों के साथ धक्का-मुक्की की। अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उनके साथ बदसलूकी करते हुए कैमरा और मोबाइल छीन कर सारे फुटेज और फोटोग्राफ्स डिलीट कर डाले, ताकि उसकी कारगुजारियों का कोई सबूत न मिले और वह झूठ-सच कहते हुए आरोपों से बच कर निकल जाए। हद यहीं तक नहीं, बल्कि घटना के बाद वह टोल प्लाजा के पास लगे बैरियर को लात मारकर हटाते हुए कार लेकर रंगबाजी से वहां से चलता बना। अब मामले में पुलिस के द्वारा कॉलर पकड़ने सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का मामला दर्ज कराया गया है तो पत्रकारों की ओर से धक्का-मुक्की, बदसलूकी और कैमरा छीनने की शिकायत दर्ज कराई गई है।
कहा जा रहा है कि घटना के बाद से आरोपी शक्तिपदो सेनापति कहां है, किसी को कुछ नहीं पता। हालांकि कहा यह जा रहा है कि वह बाहर ही बाहर सब कुछ मैनेज करने का प्रयास कर रहा है, क्योंकि मामला सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने से जुड़ा है। घटना के एक दिन बाद शक्तिपदो सेनापति की गिरफ्तारी की मांग को लेकर दोनों पीड़ित पत्रकारों कांड्रा थाना के समक्ष धरना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई जब सरायकेला के पत्रकारों के संगठन से जुड़ा कोई अधिकारी उनके सामने नहीं आया और न ही आश्वासन के दो शब्द ही कहे। हालांकि, बाद में घटना को लेकर राजनीति शुरू हुई और सरायकेला के साथ ही अन्य पत्रकार संगठनों के अधिकारी पहुंचे और 24 घंटे के भीतर कार्रवाई न होने पर तीनों जिला के पत्रकार संगठनों के साथ मिलकर धरना देने की बात कही। हालांकि प्रशासनिक आश्वासन के बाद इसे कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है।
सेनापति को बाहर और भीतर से सपोर्ट मिल रहा है और यही कारण है कि मामला दर्ज होने और पत्रकारों के प्रदर्शन को देख घटना के 24 घंटे बाद सेनापति ने अपने सहयोगियों के जरिए मामले में काउंटर केस दर्ज करावाने का प्रयास किया।
सुनने में यह भी आया है कि सेनापति ने सरायकेला के कथित पत्रकार संगठन के एक अध्यक्ष को फोन कर अपनी गलती मानते हुए माफी मांगने की बात कही थी। यहां यह गौरतलब है कि उक्त तथाकथित अध्यक्ष ने घटना के बाद से पीड़ित पत्रकारों से ना संपर्क किया ना आश्वासन के दो शब्द ही कहे। ऐसे लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है, इस बारे में चर्चा करना ही बेमानी है। यानी पत्रकारों को अपने हक की लड़ाई अब खुद ही लड़ने की जरूरत होगी।
कांड्रा थाना क्षेत्र में घटित मामले की जांच एसआई संदीप चौहान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है। पुलिस फैक्ट्री के साथ ही उसके घर और दूसरे संभावित ठीकानों पर छापेमारी कर रही है। हालांकि, अभी तक शक्तिपदो सेेनापति पुलिस के हाथ नहीं लगा है।