मुसाबनी : राजकीय पशु हाथी अब मुसाबनी और चाकुलिया वन प्रक्षेत्र में सुरक्षित नहीं है . अगर कोई हाथी यहाँ आ गया तो उसकी मौत निश्चित है . हाल की घटनाएँ यही बयान कर रही हैं . सोमवार की रात जिस प्रकार एक साथ पांच हाथियों की मौत हुई है उसने वन विभाग की लापरवाही की पूरी पोल खोलकर रख दी है .
मुसाबनी प्रखंड के ऊपर बांधा गाँव में जहाँ ये घटना हुई है वन विभाग द्वारा वहां ट्रेंच खोदकर मिट्टी का टीला छोड़ दिया गया था जिसके कारण मादा हाथी जब उस टीले पर चढ़कर जा रही थी तो उसका सूंड जंगल के बीच से गुजर रहे 33000 वोल्ट के बिजली के तार से स्पर्श हो गया जिसके कारण वहां हाथियों की लाशों का ढेर लग गया . ग्रामीणों का कहना है की यदि ट्रेंच खोदने के बाद गड्ढों के पास की मिट्टी को समतल कर दिया गया होता तो इस दुर्घटना को कुछ हद तक ताला जा सकता था . मगर इसके बाद हाथी पास के गांवो में जाकर तांडव मचा देते . पिछले कुछ दिनों से हाथियों का झुण्ड बंगाल की सीमा से होकर तेरेंगा पंचायत के कुमीरमुड़ी और चापड़ी गाँव के आस -पास लगातार विचरण कर रहा है मगर यहाँ के रेंजर दिग्विजय सिंह ने इस बात पर कोई संज्ञान नहीं लिया.
मुसाबनी प्रखंड प्रमुख रामदेव हेम्ब्रम ने इस घटना के बाद रेंजर की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा है की जब वन विभाग को इस घटना की पूर्व में ही सूचना दे दी गयी थी तो विभाग की ओर से इस दिशा में माकूल कदम क्यों नही उठाये गए . अगर विद्युत विभाग के साथ समन्वय स्थापित करके क्षेत्र का सर्वे कर लिया जाता और नीचे झूलते बिजली के तारों को ऊपर कर दिया जाता तो इन बेजुबान जानवरों को मरने से बचाया जा सकता था . इसके साथ -साथ वन विभाग द्वारा हाथियों का रूट डायवर्ट करने के भी विभाग द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया जिसके कारण ये दुर्घटना घटी . इस घटना के बाद जिले के उपायुक्त सहित पूरा प्रशासनिक अमला घटनास्थल पर पहुंचा और घटनास्थल का जायजा लिया . उपायुक्त एवं डीएफओ ने अपने -अपने स्तर से जांच कमिटी बना कर जाच कर दोषियों पर कारवाई करने की बात कही है . मगर बड़ा सवाल ये है की इस घटना में जो भी लोग दोषी होंगे उनपर कारवाई होगी या हर बार की तरह इस बार भी ठीकरा विद्युत् विभाग के सर पर फोड़कर वन विभाग अपना पल्ला झाड लेगी . क्योंकि विगत 01 नवम्बर को प्रखंड के बड़ामारा पंचायत स्थित ज्वालभांगा गांव और 02 नवम्बर को चाकुलिया प्रखंड के जामुआ पंचायत स्थित माचाडीहा गाँव में लगातार एक दिन के अंतर पर दो हाथियों की विद्युत् स्पर्शाघात से मौत हुई थी . उस समय भी लोगों ने वन विभाग और रेंजर की भूमिका पर सवाल खड़े किये थे मगर बात आयी -गयी हो गयी . जिसका परिणाम ये निकला की इतनी बड़ी दुर्घटना हो गयी . ग्रामीणों के अनुसार अभी भी खतरा टला नहीं है क्योंकि झुण्ड के साथी हाथी जहाँ पर उन हाथियों की मौत हुई है वहां दस दिनों तक पानी डालकर शोक मनाते हैं . ऐसे में फिर से एक बार किसी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है .