दुमका : दुमका में पुलिस का एक मानवीय चेहरा सामने आया है। इसमें एसडीपीओ नूर मुस्तफ़ा की भूमिका अहम रही है। बता दें कि ज़िले के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के ग्रामीण शव का अंतिम संस्कार नहीं होने दे रहे थे। उनकी मंशा चाचा पर केस कराने की थी, ताकि जमीन का मालिक कोई और न बचे और वे उसपर कब्जा कर सकें।
दिखा पुलिस का मानवीय रूप
अक्सर हमें पुलिस की बर्बरता की खबर मिलते रहती है, लेकिन झारखंड के दुमका पुलिस की एक ऐसी खबर सामने आई है, जो समाज में एक अच्छा संदेश दे रही है। दरअसल पिछले पांच दिनों से ग्रामीणों के इनकार और बहन के अभाव में एक शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा था। ऐसे में पुलिस ने खुद पहल कर अपने कंधे पर शव को ले जाकर अंतिम संस्कार किया। पुलिस के इस मानवीय रूप की खूब सराहना हो रही है।
पुलिस ने दिया शव को कंधा
मामला झारखंड की उपराजधानी दुमका जिले के शिकारीपाड़ा का है। यहां चार दिनों से एक शव घर में पड़ा था, लेकिन कुछ ग्रामीणों की दबंगई के कारण अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा था। अंत में पुलिस ने युवक मनसा राय के शव का अंतिम संस्कार कराया। इस तरह पुलिस ने उसकी कई बीघा जमीन पर नजर गड़ाए ग्रामीणों की मंशा पर पानी फेर दिया।
बहनों ने किया अंतिम संस्कार
एसडीपीओ और पुलिस निरीक्षक ने जवानों की मदद से सारी व्यवस्था की। शव को कंधा देकर करीब चार किलोमीटर दूर तक ले गए। इसके बाद उत्तर प्रदेश से पहुंचीं मृतक की दो बहनों ने दाह संस्कार किया।