- गोपीकांदर की महिला है मास्टर माइंड, किशोरी को भेजा था दिल्ली
- सीडब्ल्यूसी ने किशोरी को भेजा घर, अभियुक्तों की गिरफ्तारी का दिया निर्देश
By Mohit Kumar
दुमकाः दुमका की किशोरी को दिल्ली में बेचने के मामले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने सोमवार को मसानजोर थाना क्षेत्र की 16 वर्षीय पीड़िता को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया। चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय एवं नूतन बाला ने पीड़िता, उसकी मां और पिता के बयान का बाद मामला दर्ज किया।
बताते हैं कि मसानजोर थाना क्षेत्र की रहनेवाले किशोरी को गोपीकांदर की एक महिला काम दिलाने के नाम पर अपने साथ ले गयी थी। गोपीकांदर का ही सुनीराम उसकी बेटी समेत तीन किशोरियों को दुमका से लेकर रामपुरहाट गया और वहां से तीनों को लेकर दिल्ली चला गया। दिल्ली में उसने एक एजेंसी के माध्यम से किशोरी को सिंगारपुर इलाके में एक परिवार में घर का चौका-बर्तन के काम पर लगा दिया। उस परिवार में तीन सदस्य थे। इसके एवज में एजेंसी गोपीकांदर की उस महिला को पैसे भेजा करती थी।
कुछ दिनों तक सब ठीक रहा, लेकिन बाद में किशोरी का वहां काम में मन नहीं लग रहा था। इसके बाद उसने बड़ी बहन को फोन कर अपने बारे में जानकारी दी। इस बीच पिता के बयान पर आहतू थाना में अज्ञात के खिलाफ चाइल्ड ट्रैफिकिंग का मामला दर्ज किया जा चुका था। किशोरी के फोन कॉल पर जब पुलिस सक्रिय हुई तो उसे काम पर रखनेवाली एजेंसी ने किशोरी को एक एनजीओ की मदद से वापस दुमका भेज दिया।
दुमका आने के बाद किशोरी काम करने के लिए पश्चिम बंगाल चली गयी। वहां से लौटने पर सोमवार को केस के अनुसंधानकर्ता ने कोर्ट में उसका सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करवाया और फिर उसे सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया। समिति ने माता-पिता के आग्रह पर अंडरटेकिंग लेकर किशोरी को उनके साथ घर भेज दिया है। किशोरी ने उसे बेचनेवाले दलालों का नाम भी बताया है। पुलिस ने अबतक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की है। सीडब्ल्यूसी ने केस के अनुसंधानकर्ता को अभियुक्तों की जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, ताकि कोई और किशोरी चाइल्ड ट्रैफिकिंग का शिकार न बन जाए।