- पुलिस ने खदेड़कर पकड़ा शक्ति सेनापति को
- चप्पल नहीं था तो पुलिस ने खरीद कर दिया
जमशेदपुर: अगर आपकी एक बंद दायरे में धमक चलती हो तो उसे दायरे से बाहर लाने की भूल नहीं करनी चाहिए। लेकिन पैसों और मजदूरों पर हुकूम चलाने वाले शक्ति सेनापति को लगा कि बाहर के लोग चाहे पुलिस हो या पत्रकार सब उसके मातहत हैं और किसी के साथ कुछ भी कर वह बच जाएगा। चूंकि पहले वह ऐसा कर बचता रहा है और इस कारण उसका मनोबल बढ़ा हुआ था और इसी गुमान में उसे न केवल एक एएसआई का कॉलर पकड़ा बल्कि पत्राकरों के साथ भी मारपीट की और उनके कैमरे तक तोड़ डाले। लेकिन पुलिस चाहे तो क्या नहीं कर सकती और ऐसा ही हुआ। पुलिस शक्ति सेनापति को उड़ीसा से घसीट कर यहां ले आयी।
हालांकि यह गिरफ्तारी उतनी आसान नहीं थी। पुलिस जब उसे गिरफ्तार करने पहुंची तो वह अपराधियों की तरह भागने लगा। इसके बाद पुलिस टीम ने उसे करीब आधा किलोमीटर तक खदेड़ा, तब वह गिरफ्त में आया। इस दौरान सेनापति ने हाफ पैंट पहना था और पैर में चप्पल भी नहीं था। पुलिस ने ही उसे चप्पल खरीदकर दिया।
अब यह आसानी से समझा जा सकता है कि कानून से उपर कोई भी नहीं है, भले ही वह रामकृष्णा फोर्जिंग का सेनापति ही क्यों न हो। गिरफ्तारी के बाद उसकी तबियत खराब हो गई। इसके बाद उसे इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल लाया गया, जहां उसे आईसीयू में भर्ती किया गया। बाद में उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक अस्पताल में पुलिस अभिरक्षा में भर्ती शक्तिपदो सेनापति का इलाज चल रहा है। कांड्रा थाना प्रभारी राजन कुमार ने बताया कि उसका ट्रीटमेंट चल रहा है। उन्होंने बताया कि मामले में उसके दो सहयोगियों बालकृष्ण खेतान और कुलदीप सिंह को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। इसके बाद मामले में कार्रवाई की जाएगी।
आपको बता दें कि शक्ति सेनापति रामकृष्णा फोर्जिंग की कोर टीम में शामिल है। वह कंपनी के एचआर का काम देखता है। ऐसे में कर्मचारियों पर उसकी खूब चलती है। अपनी इसी धमक को अक्सर वह बाहर भी दिखाता रहता है। कंपनी में कई ऐसे कर्मचारी हैं, जिन्हें उसने अपनी इसी लायजनिंग प्रक्रिया के तहत बहाल कर रखा है। हालांकि इस बार उसका पाला सही लोगों से पड़ा है और उसे अपनी औकात समझ में आ गई है।